अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

फगुनवा रास ना आवे


पियवा गइले परदेश फगुनवा रास ना आवे,
ना भेजले कउनो संदेश फगुनवा रास ना आवे।।


ननदी सतावे देवरा सतावे,
रही रही के जुल्मी के याद सतावे।
सासुजी देहली आशीष फगुनवा रास ना आवे।।


सखिया ना भावे नैहर ना भावे,
गोतीया के बोली जइसे आरी चलावे।
नींदियो ना आवे विशेष फगुनवा रास ना आवे।।


बैरी जियरवा कइसो ना माने,
रहि रहि नैना से लोरऽवा चुआवे
काहे नेहिया लगवनी प्राणेश फगुनवा रास ना आवे।।


पियवा गइले परदेश फगुनवा रास ना आवे,
ना भेजले कउनो संदेश फगुनवा रास ना आवे।।


प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी


प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।

दिहल केवरिया पवनवा खोलावे बरबस बेदर्दी के याद ले आवे,
रोय भरे सोरहो सिंगार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।
प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।

छिटके चंदनिया अऽगीनिया लगावे सुतलस नेहिया इऽ बैरिन जगावे,
भावे ना अङ्गना दुआर हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।
प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।

पिहके पपिहरा पनघट किनारे अपनी मोरनिया का मोरवा दुलारे,
सम्हरे न गगरी हमार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।
प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।

सगरो फुलवरिया के फुलवा फुलाईल बन मतवारे भवरवा लोभाऽईल,
सहलो ना जाला बहार हे सजनी डासर सेजरिया जहर भऽईल।
प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।

सरसो से खेतवा पियराइल बिरहन कोयलिया के बिरहा उमड़ाइल,
नीर झरे साँझ भीनसार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।
प्रीत करे मीत के पुकार हे सजनी डासल सेजरिया जहर भऽइल।।


बलम हमके टीवी मँगा दऽ


फिर आईल किरकिटिया बुखार बलम हमके टीवी मँगा दऽ,
नाही करबे हम कउनो सिंगार बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


वर्ल्ड कप हवे एकर अंगरेजी नाम,
नाही करबे हम कउनो काम धाम।
काम आई ना कउनो जुगाड़ बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


चार बरिस में एक बारि आई,
सारे देशवा पर नशा छा जाई।
जगतिया में फैलल ईऽ छुतिया बवाल बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


सचिन तेन्दुलकर अऊर रिकी पोटिंग,
युवराज अउर सहवाग के होइ जाई सेटिंग।
चौका छक्का के हो जाई बऊछार बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


वेस्टइंडीज के द्वीपन पर लग जाई मेला,
सोलह देशन के खिलाड़ी देखइहैं आपन खेला।
इंडिया पर लागल बड़ा दाँव बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


किरकिट ही खईऽबे किरकिट ही पहिनबे,
इंडिया के जीतला पर जलसा मनईबे।
रसोई से हो जाई महिना भर के लीव बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


फिर आईल किरकिटिया बुखार बलम हमके टीवी मँगा दऽ,
नाही करबे हम कउनो सिंगार बलम हमके टीवी मँगा दऽ।।


मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी


डोले फगुनऽईया जब डार पात लहरी,
मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी।
 
कुहुके कोयलिया तऽ पीरा होय गहरी,
अन्हियारे पिपरा पकड़िया जब झहरी।
फरल फुलायल सब गोयड़े कऽ रहरी,
भिनसारे महुआ से महुआ जब झहरी।
मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी।
 
संघिया के मार से प्रति नित कहरी,
मटक चले गोरी जब ताल व नहरी।
बिरहन सताये जब बसंत के प्रहरी
असुँअन छिपाये खातिर करे बरजोरी।
मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी।
 
फूलन पर भँवरा के झुण्ड आ ठहरी,
सबके घर अइलन जब परदेशी शहरी।
छलकल बिरह रस नैनन की डहरी,
शिकवा शिकायत के लागल कचहरी।
मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी।
 
डोले फगुनऽईया जब डार पात लहरी,
मीत बिना गीत लागे फागुन के जहरी।


बदरा घुरि घुरि आवे अँगनवा में


बदरा घुरि घुरि आवे अँगनवाँ में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।
 
मनके महल में सूधिया के पहरा प्रीत के हिड़ोले बिरहल लहरा,
दिल तार तार होला सपनवाँ में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।
 
आस के डरिया में आँख अझुराइल मोह से आपन लोरवा टकाइल,
केहु लुक छिप जाला परनवाँ में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।
 
नोचे खसोटेले रात सुधराई कोसे मसोसेले मारवान मिताई,
तनि आड़ घाँट बोधे बिहनवा में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।
 
बैरिन बयरिया डोले बल खाय के कंगना पयलिया बोले इठलाय के,
चैन आवे न बैरी सँवनवा में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।
 
बदरा घुरि घुरि आवे अँगनवाँ में नींद नाहि आवे भवनवाँ में।।


ई कइसन जिनगी के खेला


ई कइसन जिनगी के खेला ई कइसन जिनगी के मेला,
ना कोई कुछ ले आईल बा ना ले जाई एगुड़ो धेला।।
 
काल करावे खेला लेकिन भूल गईल सब आपन बेला,
खून के होली खेल रहल बा स्वार्थ भरल दुनिया के रेला।
ई कइसन जिनगी के खेला........।।
 
भाई के भाई दुश्मन भईल बा न नाही बाचल कउनो थैला,
नारी ही नारी के काटत जिसम हो गईल ओकरो मैला।
ई कइसन जिनगी के खेला........।।
 
इंसानन के बीच में भगवन ई कइसन हैवानी खेला,
मात खा गईल जानवर जानी बचल रह गईल ठेलम ठेला।
ई कइसन जिनगी के खेला........।।
 
कलयुग कहके केतना खेलब आपन ई माया के खेला,
खतम हो रहल दुनिया बा प्रभु अब त खोलीं आपन थैला।
ई कइसन जिनगी के खेला........।।
 
ई कइसन जिनगी के खेला ई कइसन जिनगी के मेला,
ना कोई कुछ ले आईल बा ना ले जाई एगुड़ो धेला।।


कइसन-कइसन जिनगी


का का कहीं कइसे चुप रहीं हम हर कदम पर सवाल करेला जिनगी,
जिनगी खुद एक सवाल बन गईल देख के कइसन कइसन जिनगी।।
 
माई के दूध खातिर बचवन लोग के अफनात जिनगी,
दस रूपया खातिर सौ रुपया के गोली खात जिनगी।
हर मौके पर लाचारन के लूऽटत खसोटत जिनगी,
पापी पेट खातिर आपन जिसम लुटावत जिनगी।
जिनगी खुद एक सवाल.....।।
 
जिनगी के खेला में दुसरा के जिनगी लुटावट जिनगी,
माई-बाबू के सेवा के बदला कुकुरन के घुमावत जिनगी।
सन्यास लेहला के बाद भी विलासिता से भरपूर जिनगी,
जवन चीज आपन ना बा ओ खातिर खून बहावत जिनगी।
जिनगी खुद एक सवाल.....।।
 
रिश्तन के टूटत सिमेन्ट से आपन गृहस्थी बसावत जिनगी,
नेतावन के मतलब परस्ती से जनता के बेहाल भईल जिनगी।
दुसरा के माल पर राजा बने कऽ ख्वाव देखत भईल जिनगी,
जवन डाल पर इंसान बऽईठल बा ओही डाल के काटत जिनगी।
जिनगी खुद एक सवाल.....।।
 
का का कहीं कइसे चुप रहीं हम हर कदम पर सवाल करेला जिनगी,
जिनगी खुद एक सवाल बन गईल देख के कइसन कइसन जिनगी।।