अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

नया रूप में कबीर वाणी

आईं सबही कोई मिल के एगो अलख जगावल जाय..
नया रूप में कबीर वाणी दुनिया के बतलावल जाय..

साफ सफाई के नारा ले के जग में ढ़ोल बजावल जाय..
जहाँ जहाँ पर मइल देखाए ओकरा मार भगावल जाय..
नया रूप में......

हक के माँग से पहिले सबके कर्तव्य याद करावल जाय..
विदेशीयन के विरोध से पहिले आपन नंगई हटावल जाय..
नया रूप में......

वेलेंटाइन डे के विरोध सही बा पर ई बात बताईल जाय..
बर बारात में नारी के नाचल कइसे सही जताईल जाय..
नया रूप में......

जाति पाति खेल निराला एकरा के बन्द करावल जाय..
एक कहे तऽ नौकरी दुसरा के काहे जेल भेजावल जाय..
नया रूप में......

महँगाई भ्रष्टाचार के आड़ में राजा के गरियावल जाय..
एकरा आड़ में खून चुसे वाला के काहे जोंक बनावल जाय..
नया रूप में......

आईं सबही कोई मिल के एगो अलख जगावल जाय..
नया रूप में कबीर वाणी दुनिया के बतलावल जाय..