अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

कलयुग के फेरा में भईया

कलयुग के फेरा में भईया सगरे जहर बुताइल बा.
कइसे बताईं पापी देहियाँ कहाँ कहाँ अझुराइल बा..

हमके पाले में बाबू के का का कष्ट झेलाईल बा..
पढ़ लिख के सबसे पहिले ही उनके लात मराईल बा.
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

एगो कमरा में चार चार के पलले एमा उनकर बड़ाई बा.
हमरा चार चार कमरा में भी उनकर नही समाई बा..
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

उनकर दौलत हमार दौलत हमार त हमरे कहाइल बा.
मेहरारू के अईते भईया घर के चुल्हा बटाईल बा..
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

वइसे ई बुराई में भी एगो सकारात्मक सोच देखाईल बा..
का गरीब अउर का अमीर सब एकही राग चिल्लाईल बा..
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

ई कहनी त घर घर के बाटे बाहर भी त रास रचाईल बा..
कामकाज में तरक्की खातिर मेहरारू पर दाँव लगाईल बा..
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

मानतानी ई खेला में केहु केहु ही जोताईल बा
पर अइसन मौका भी भईया सबके कहाँ भेटाईल बा..
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

प्यार मोहब्बत के खेला में मेहरारू के अदला बदली होखाईल बा..
जो खेले ऊ मॉडर्न बकिया के बैकवर्ड के तमगा दिलाईल बा.
कइसे बताईं पापी देहियाँ........

कलयुग के फेरा में भईया सगरे जहर बुताइल बा.
कइसे बताईं पापी देहियाँ कहाँ कहाँ अझुराइल बा..