अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

आपन दायरा बढ़ावत जा..

लोगन के कहनाम बा आपन दायरा बढ़ावत जा..
कूप मंडूक के ठप्पा लगे से खुद के बचावत जा..

हमार कहनाम बा जब सिद्धुजी खुद के ना बदल सकेले..
गंभीर चुटुकला पर भी जोरदार ठहाका लगा सकेले..
कइसे बदलीं हम खुद के हम तऽ कुकुर के दुम हईं..
सरकारी आफिस के रटल रटावल हुकुम हईं..
जा कल अईऽह तोहार काम चउचक हो जाई..
बचवन खातिर मिठिई ले अईऽह नाही त दम जाई..
अरे बऊराह ई बात कहे में तोहरा शरम नाही आवेला?..
सूप त सूप चलनीयो बोले के बात समझ नाही आवेला?.

लोगन के कहनाम बा आपन दायरा बढ़ावत जा..
कूप मंडूक के ठप्पा लगे से खुद के बचावत जा..

वईसे तोहरा बात मे दम बा ई बात जानऽतानी हम..
नेतावन के करनी देख ई बात सच मानऽतानी हम..
एक बार जहाँ से चुनाव जीतले ऊऽ इलाका छोड़ देबेले..
ई बात पुछला पर पूछे वाला के सरवे फोड़ देबेले..
कहेले राष्ट्रीय नेता बानी पूरा देश समझे चाहऽतानी..
एक जगह के लूट चुकलीं दुसरा के लूटे भी चाहऽतानी..
कहे अभय कविराय बात सिर्फ दायरा के हो समझ आवेला..
ईहाँ, दुसरा के गिरवला पर ही आपन तरक्की नजर आवेला.

लोगन के कहनाम बा आपन दायरा बढ़ावत जा..
कूप मंडूक के ठप्पा लगे से खुद के बचावत जा..