अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

शायर नईखी हम ई बात जानतानी.

शायर नईखी हम ई बात जानतानी.
जिंदगी शायरी बा ई हम मानतानी.
कइसे कहीं हम हाल अपना जियरा के.
हर हाल में जिंदगी बितावतानी.
शायरी के एगो मिसरा भी ना जानिले.
कलम उठवते गजल हो जाला.
देखतानी खाली हाथ आईल बाडू.
नजर के उठवते कतल हो जाला.