अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

दिल के दरदिया के हाल केहु ना बुझे ला..

दिल के दरदिया के हाल केहु ना बुझे ला..
ई कलयुग बा इहाँ भगवानो के मजाक सुझे ला..

उनकरा एक मिनट में हमनी के जिनगी बीत जाला.
ई बात कहके मनचाहा वरदान के पहिरावे चाहेले माला..
मुँहमाँगा वरदान के डिटेल सुनके अँखियाँ लाल करेले..
एक मिनट के नारा देके हमरा जिनगी में गायब होखेले..
उनकर अइसन ठिठोली पर हमरा हँसियों ना छुटेला..
ई कलयुग बा...

मोदक प्रिय गणपति बप्पाजी लड्डू भूल के दूध चढावें..
तरकारी फल में दर्शन देके सर्व विद्यमान के सही बतावें..
होखी जब जब धरम के हानि आईब हम अवतार बनके..
खुद प खतरा के आते ही मुस्की दें सरकारी शरण में जाके.
बंधन के पूजा स्वीकार ना होला के मंत्र हमरा ना भूले ला.
ई कलयुग बा...

दिल के दरदिया के हाल केहु ना बुझे ला..
ई कलयुग बा इहाँ भगवानो के मजाक सुझे ला..