अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

देखत होखबु जब भी आईना ख़ुद पर इतरावत त होबु..

देखत होखबु जब भी आईना ख़ुद पर इतरावत त होबु..
साजन के बहियाँ में जाए खातिर मन ही मन मचलत त होबु.
ख्वाब में ही सही हमरा से टकरईला पर नजर चोरावत त होबु..
तोहार दीवाना बा सोच के दिल ही दिल में मुस्करावत त होबु..
पहिला बोसा के महक से अपना दिल के गुदगुदावत त होबु..
मधुर मिलन के तड़प से अपना दिल के आग भड़कावत त होबु..
अपना दिल के हाल केकरा से कहीं सोच के कसमसात त होबु.
कुछ अइसने हाल एहरो बा जब से तू ए दिल के धड़कवले बालु. ..
सागर में भी रहनी प्यासा ई बात के एहसास हमके करवले बालु.
अगर इश्क आग के दरिया बा त ओ पार ख़ुद के बसवले बालु...
जल जाईब एही आग में काहे कि एकरा के तु जे लगवले बालु.
अपना दिल के आहट से ही हमरा दिल के जे भडकवले बालु.