अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

एक बार फिर गुलाम होखे के चाहीं

हम लोगन के कउनो गफलत में ना रहे के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर गुलाम होखे के चाहीं।।

ईऽ बात पर केहु हमके गाली दी केहु कही पागल,
पर ई सोच में हमरा आत्मा पर दाग नईखे लागल,
हमरा ई सोच के फायदा एक बार जरुर सुने के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

देश के सोचला पर देशभक्त के तमगा मिल जाई,
फालतु लोगन खातिर पेंशन के खिड़की खुल जाई,
एही से ई रास्ता एक बार जरुर चुने के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

हर केहु के औकात खुद ब खुद पता चल जाई,
कई बेरोजगारन के जीये खातिर मकसद मिल जाई,
हमरा ई बात पर सब केहु के ताली बजावे के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

जवानन के आपन भारत बनावे के रास्ता मिल जाई,
आजादी के सिपाहियन के ऊऽ गाली देबे से बच जाई,
ई बड़ मकसद खातिर गुलामी जरुर स्वीकारे के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

जान पर आफत अउते फालतु नेता खुद गायब हो जाई,
सुपर बास के सामने भाई लोगन के रंगत उतर जाई,
ई दू लोग के खात्मा खातिर इहे रास्ता चुने के चाही,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

हर केहु के खुद के साबित करे के मौका मिल जाई,
आपन अधिकार माँगे वाला के कर्तव्य याद हो जाई,
कहे के तऽ बहुत बा पर थोड़े में गुजारा करे के चाही,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर..........।

हम लोगन के कउनो गफलत में ना रहे के चाहीं,
हिन्दुस्तान के एक बार फिर गुलाम होखे के चाहीं।।