अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

अपना चोट पर हर केहु के आँसू आवेला

अपना चोट पर हर केहु के आँसू आवेला,
गैरन के समय सब चैन के बंसी बजावेला।

मुम्बई पर हमला में हमरो आँख नम भईल बा,
मुम्बईकरन के दरद से हमरो करेजा दहलल बा,
जब भईल रहे भोजपुरियन पर भीतरी हमला,
ईहे मुम्बईकरन के खामोशी हमरा याद आवेला,
अपना चोट पर हर केहु........।

घर में घुसे ना दिहला पर एगो नेता तमतमाईल बा,
शहीद के घर के तुलना में कुकुर याद आईल बा,
नेताजी एक बार तऽ जरा खुद के आईना देखाईं,
सावन के आनहर के बस हरा हरा ही देखायेला,
अपना चोट पर हर केहु........।

अपना चोट पर हर केहु के आँसू आवेला,
गैरन के समय सब चैन के बंसी बजावेला।