अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

खुशखबरी

हमरा व्यंग से आजिज आवे वाला लोग के खुशखबरी बा,
हमरा लेखनी में प्रेम रस के जबरदस्त छाईऽल बदरी बा.
फर्क एतने बा कि हमरा प्रेम रस के रंग जरा जुदा बा,
धन से प्रेम के मरम जनते बोल लीं ईऽ हमरो खुदा बा.
हमरा व्यंग से आजिज............

प्रेम रस में बड़ा ताकत बा फिर चाहे ईऽ जेकरा से होखे,
सार सार के पास राखेला आ थोथा के खुद से दूर राखे.
बाकी सार आ थोथा के परिभाषा ओकर खुद के होला,
ओकरा प्रेम के आगे बेकार दुनिया के बाकी सब चोला.
हमरो पर कुछ अईसने रंग चढ़े कऽ शुरुआत होत बा,
हमरा व्यंग से आजिज............

एक प्रेम में केहु परिवार से अलग होत बा त का फिकर,
आ दुसरा प्रेम में दिमागे से जात बा त ओकर का जिकर.
एकरा में प्रेम रस के का दोष जे एमा केहु आन्हर हो जाए,
रउआ का फरक पड़त बा जे प्रेम में केहु बानर हो जाए.
दुनिया खातिर तऽ एगो पागल ओकरा से अलग होत बा,
हमरा व्यंग से आजिज............

एतना लिखला के बाद एगो बात समझ में आ रहल बा,
सावन के आन्हर के बस हरा हरा ही देखाई दे रहल बा.
हमरा तऽ बुझा ता कि व्यंग से हमार जनमो के नाता बा,
कुकुर के दुम हईं केहु केतनो सीधा करे टेढ़ा ही भाता बा.
बात एतने बा रस कउनो होखे मुस्काईऽल हमार भ्राता बा
हमरा व्यंग से आजिज............

हमरा व्यंग से आजिज आवे वाला लोग के खुशखबरी बा,
हमरा लेखनी में प्रेम रस के जबरदस्त छाईऽल बदरी बा.