अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

कविता

हाल जियरा क

हाल जियरा क, बतावे जे हम चललीं,
जिन्दगी बदगुमानी हो गइल.
एक पल खुल के मुस्करा का लिहलीं
जीना बस कहानी हो गइल.

जर जवार खातिर खाड़ हमेशा रहलीं.
हर केहु के सपना हम आपन मनलीं.
लेहलीं वादा जे दू कदम साथ चले क,
हमसफर बेमानी हो गइल.
हाल जियरा कऽ....

बसुधैव कुटुम्बकम के झंडा, दिल से लगवलीं,
नव निर्माण खातिर दुनिया से प्यार भी कइलीं.
भूल गइलीं जब खुद के, दुनिया खातिर,
सारी दुनिया बेगानी हो गइल.
हाल जियरा कऽ....

पास आवे क उनकर तड़प याद आवेला,
हर कदम साथ बानी सुन जियरा जुड़ाएला.
कइलीं इंकार जब खुद से बेवफाई खातिर,
कहले, हमसे नाफरमानी हो गइल.
हाल जियरा कऽ....

हाल जियरा क बतावे जे हम चल लीं
जिन्दगी बदगुमानी हो गइल...