अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

जबसे तू देख लऽ बलम

जबसे तूऽ अईऽल बलम हमरी नगरिया,
पीरितिया के बीज फूटल हमरी जिगरिया।।

कइऽसे बताईं तोहे पापी जियरा कऽ हाल,
गीत गुनगुनाई जब न सुर मिले न ताल,
टुकुर टुकुर ताऽकल करीं सगरो दुअरिया
पीरितिया के बीज फूटल....।।

ना कोईऽ उमंग रहे ना रहे कोईऽ रवानी,
भटकन लागे सावन में मोर पापी जवानी,
हटत नईऽखे तोहरा पर से हमरी नजरिया,
पीरितिया के बीज फूटल....।।

प्रीत पाके महके लागल दिल के अँगनवा
कर दिहलीं तोहके अरपन सातो जनमवा
बहियाँ में भर लऽ अपने हमके सँवरिया
पीरितिया के बीज फूटल....।।

जबसे तूऽ अईऽल बलम हमरी नगरिया,
पीरितिया के बीज फूटल हमरी जिगरिया।।