अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

जीवन के नईया डगमगाईल बा

जीवन के नईया डगमगाईल बा,
पार लगा देवी मईया.
नवरात्री त्योहार फिर से आईल बा,
दर्शन तू दे द देवी मईया.

करमिया के लेखा केहु ना मिटार पाई,
जान के हम आईल बानी बाड़ू हमार माई,
अँखिया से पानी छनछनाईल बा,
गोदिया में भर ल देवी मईया,
जीवन के नईया.

बानी कपूत लेकिन शरण में आईल बानी,
माता कुमाता नाही चर्चा ई सुनले बानी,
कलयुग के दानव भनभनाईल बा,
कर दऽ संहार देवी मईया,
जीवन के नईया.

ना हरबु जे कष्ट सबही के त तू भी सुनि ल माई,
यहि हाल जे चलत रही त फिर के कही तोहके माई,
नवदुर्गा के नवों रुप के महिमा फिर ना सुनाई,
या त झोली भर द सबकर ना त प्राण इहें पर जाई,
भ्रष्टाचार के आँधी घनघनाईल बा,
करि द उद्धार देवी मईया,
जीवन के नईया.

जीवन के नईया डगमगाईल बा,
पार लगा देवी मईया
नवरात्री त्योहार फिर से आईल बा,
दर्शन तू दे द देवी मईया।।