मय संसार रउरा घर में बा

डा॰ अशोक द्विवेदी

पइसा का कमी से
भलहीं दू जून बेतियना, बे दाल के कटे
भलहीं बेमरिया माई के
दवाई के पइसा घटे
भलहीं लड़िकन क फीस
दूधवाला क हिसाब रूक जाव
बाकिर नया सेलफोन, आ
मोटरसाइकिल किनाई
बहरी ड्राइंग रूम में
नया कलर टीवी रखाई!

बजार नरम होखे भा गरम
धंधा चोख होखे भा नरम
ईजत बनावे खातिर
कुछ त करहीं के परी
आखिर कबले केहू घुटघुट के मरी ?

तरह तरह के कंपनी
किसिम किसिम के बजार
नया नया बैंक, उधार देबे के तईयार
दुनिया भर क एजेंट
सेवा में हाजिर बा सरकार.
हुकुम त करीं
का चाहीं ?

नया माडल के फ्लैट कंपूटर,
टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, कूलर
एसी, गीजर, फर्नीचर से सज जाई राउर घर.
कुछ त बोलीं
मुँह त खोलीं !!

विवशीकरण गइल
वैश्वीकरण क जादू बा
दुनिया जहान
कूल्हि मुट्ठी में
महिमा बा संचार क अतना उदार
कि मय संसार
संसार क बजार
रउरा घर में बा !