पाकिस्तान में भूदान

आलोक पुराणिक

महापुरूष लोग आवेला, चल जाला. बाकिर ओह लोग विचार ना जाला. विनोबा भावे जू भूदान के कंसेप्ट दे गईल रहनी, अबहियों चल रहल बा, कम से कम पाकिस्तान में. पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी स्वात घाटी के भुदान तालिबानियन के कर दिहलें.

वइसे पाकिस्तान बड़ा मजा के मुलुक हऽ, जवन बावे ओकरा से ऊ त सम्हरे ना, काश्मीर के मांग करत रहेला. १९७१ में एगो बड़हन भूदान भईल त बांगलादेश बनल. पाकिस्तान से बड़ भुदानी देश खोजल मुश्किल बा. अबहीं हालही में एगो पत्रकार जरदारी के इंटरव्यू लिहलस. संजोग से एह खाकसार का हाथे लाग गईल, एह तरह से बा :

सवाल : रउरा स्वात घाटी तालिबानियन का हवाले कर दिहनी, एकर का मतलब बा ?

जरदारी हमनी का भूदान के मनले बानी जा. स्वात तालिबानियन का हवाले बा, कराची दाउद का तस्करन के हवाले, काश्मीर आतंकवादियन के हवाले. हमनी का खुदे आधा चीन के आ आधा अमेरिका के हवाले बानी जा. देखीं, स्वात घाटी तालिबानियन का हाथे चल गईल त हमनी का अब कह सकीलें कि हमनी का जिम्मेदार नईखीं जा. अमेरिका डाँटेला कि हमनी का सरकार ठीक से नईखी चलावत जा. अब साफे कह देनी जा कि गवर्नमेंट हमनी के बड़हीं कहाँ बा ? ईहां इस्लामाबाद में एकाध किलोमीटर एने ओने के इलाका भर हमनी के बा. वइसे ईहो हमनी के आपन नईखे, ई पाकिस्तानी फौज के जनरल कियानी के बा. कियानी तालिबानियन का हवाले बाड़न. हमनी के कवनो दोष नईखे.

सवाल : जब राउर कवनो जिम्मेदारिये नईखे त रउरा राष्ट्रपति बनलीं काहे ?

जरदारी पाकिस्तान सभकर हऽ, फौज के हऽ, आईएसआई के हऽ, डेमोक्रेटिक गवर्नमेंटो के हऽ. सिरिफ फौजे काहे चौपट करे, आईएसआई के भी मौका मिले के चाहीं. सिरिफ आईएसआईये काहे चौपट करे, सिविलो गवर्नमेंट चौपट करे. बारी बारी से करे लोग.

सवाल : रउरा भूदान के बात करत बानी, भूदान के कंसेप्ट त मूलतः इंडियन हऽ ?

जरदारी इण्डियन लोग भूदान के ठीक से फालो ना कईल. भूदान खातिर ओहिजा के लोग ऊ जमीन दिहल जवन ओह लोग खातिर कवनो काम के ना रहे. हमनी का निमन खास जमीन दे दिहली जा भूदान में. स्वात घाटी में निकहा टूरिस्ट बिजनेस चलत रहल हा बाकिर हमनी का भूदान में दे दिहनी जा. रउरा हमनी के भावना देखीं, सांच भूदानी जजबात हमनिये का भितर बा.

सवाल : रउरा से आपने जमीन सम्हरत नईखे आ रउरा काश्मीर मांगी ला ?

जरदारी देखीं, हमनी का खुदमुख्तारी के हक के बात करीला. चौपटीकरण में खुद मुख्तारी होखे के चाहीं. काश्मीर के हमनी का चौपट करेम जा, अपना हिसाब से.

सवाल : रउरा किहां गजब हाल बा. रउरा राष्ट्रपति हो के जवन कहीला तवन प्राइममिनिस्टर गिलानी के ना मालूम रहेला. ओने गिलानी जी जवन कहेलें तवन रउरा मालूम ना रहेला.

जरदारी ई पुरनका सिचुएशन बयान करत बानी रउरा. नयका ई बा कि हम जवन कहीले तवन हमरे मालूम ना रहेला आ गिलानी जवन कहेलें तवन उनुके ना मालूम रहेला.

सवाल : रउरा भारत पाक रिश्ता में शांति खातिर चीन के रोल चाहीलें. एकर का मतलब बा ? का रउरा चीन से राकेट, बम, मिसाइल खरीद के शांति बहाल करल चाहीले ?

जरदारी हमनी का मालूम बा कि हमनी के चीनी मिसाईल के भारत का साथे शान्ति बहाली के प्रोग्राम से जोड़ल जाला. बहुते लोग के मानल बा कि चीनी हथियार सस्ता होखेला बाकिर ढेर ना चले. लड़ाई का घरी ई चलबे बा करीहें सन, त शान्ति हो जाई कि ना ?

सवाल : का संदेश दिहल चाहेम ?

जरदारी भूदान कईला से टेंशन बहुते कम हो जाला.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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