फिदायीन क्रिकेट आ बमबाल

आलोक पुराणिक

छुट्टन भाई (नाम बदलल बा, उनकर मौलिकता विचार आ महानता देखके अइसन करे के पड़ रहल बा) फैसला ले लिहले बाड़न कि अगिला चुनाव लड़बे करीहें. छुट्टन भाई आ ई खाकसार पांचवी किलास ले संगही पढ़ले बाड़े. ओकरा बाद छुट्टन भाई ज्ञान के प्रैक्टिकल राह ध दिहलन आ सीधे कर्मभूमि में उतर पड़लन. सिनेमा टिकटन के ब्लैक, जेबकटई, अपहरण का रास्ता पर चलत बढ़त अब ऊ नेता बनल चाहत बाड़े. चुनावी कवरेज खातिर उनुकर इंटरव्यू लेवे चल गईनी.

सवाल - रउरा पालिटिक्स में आवे के सोच रहल बानी. राउर आदर्श का बा ?

जवाब - हमार आदर्श पाकिस्तान बा, बहुते सही सैट पालिटिक्स बावे ओहिजा के. मजा बा, कमसकम पालिटिशियन्स के.

सवाल - बाकिर कईसे ? कानून आउर व्यवस्था खातिर राउर नीति का होखी ?

जवाब - पाकिस्तान के फंडा हम सीख गईल बानी -बरखास्त करदऽ. पाकिस्तान में इहे होखेला कि प्रेजीडेंट जस्टिस के बरखास्त कर देबेलें, जस्टिस प्रेसीडेंट के बरखास्त कर देबेलन. प्रेजीडेंट सुरक्षा सलाहकार के बरखास्त कर देलन. एह तरह हर केहू एक दोसरा के बरखास्त करत रहे त सब बरखास्त हो जईहे. फेर पूरा मुलुके बरखास्त जस हो जाई. फेर बताईं, करे खातिर बाचले का रही ? जब करे खातिर कुछ होखबे ना करी त फेर कवनो सवाले ना उठी. लमहर लमहर मार्च निकली आ छोटहन छोटहन सोलूसन्स. सब ठप हो जाई. बिजली पानी ठप हो जाई. तब पब्लिक सिरिफ हाय हाय करतअतने कही कि भईया पानी त दिलवा दऽ, कम से कम. बिजली तो जरवा दऽ, कम से कम.मतलब ला एंड आर्डर के प्राब्लमे खतम हो जाई. बिजली पानी की समस्या कुछ खास ना होखे, पब्लिक कई सालन से झेलत बिया.

सवाल - राउर इकोनोमिक पालिसी का होखी ?

जवाब - आइडियल त ई होखी कि अतना मिसाईल, अतना परमाणु बम चले कि सब केहू डर से जंगल का ओरि भाग जाय. केला खा के कवनो खोह में सूत जाय. अब एह खोह पर आधारित इकोनोमी में सवाल अतने बांचलरही कि भई जरदारीजी दस परसेंट केला भितरी मत कर लिहल करऽ. देखीं, अब केला में पचासो परसेंट भितर कर लिहनी तबो केहू आबजेक्शन ना करी. आ एह तरह से करप्शनो के सवाल हमनी का हल कर लेम जा.

सवाल - राउर खेल नीति, संस्कृति नीति का होखी ?

जवाब - फिदायीन क्रिकेट मैच, बमबाल जइसन नया नया खेलन के कइसे बढ़ावल जाव एह बारे में तालिबानियन से राय मशविरा कर के फैसला लिहल जाई.

सवाल - रउरा जवाब से त इहे लागत बा कि ना पब्लिक रहेगी, ना पब्लिक के समस्या !

जवाब - तारीफ खातिर शुक्रिया !


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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