स्वाइन गाइड

आलोक पुराणिक

स्वाइन के हल्ला में रउरा का करे क बा एह मुतल्लिक नीचे लिखल गाईड पढ़ के काम करीँ -

1 - अगर रउरा टीवी रिपोर्टर हई, त सबेरे से साँझ ले राउर काम दहशत फइलावे के बा. स्वाइन का कहर, स्वाइन अजगर, स्वाइन का तूफान, सब मर जायेंगे स्वाइन में, प्रलय आफ स्वाइन, केहू नाहीं बाची टाइप के टाइटल सोचीं. अगर क्राइम रिपोर्टर हईं, त फेर का कहे क बा, रउरा खातिर त कामे आसान हो जाई. रात में मारी, चौबीस घंटा मौत, मौत क कूरियर, मौत क दस्तक, हर सांस में कत्ल, मौत साथ लेके जाई, तू बचबऽ ना, टाइप कार्यक्रम त क्राइम रिपोर्टर एक मिनट में साठ क भाव से सोच सकेलें.

2 - अगर रउरा पार्टी में जाये वाला सोशलाइट हईं, तबहियो स्वाइन पर रउरा करे लायक बहुते कुछ बा. जानत बानीं कि ना, स्वाइन में ई होला, ऊ होला, का होला जइसन कुछ जुमला रट लिहीं. मुंह पर स्वाइन से बचाव खातिर मास्क लगावल जाव भा ना, एह पर बहस कर सकीले. रउरा एगो डिजाइनर स्वाइन मास्क बनववले बानीं, खास कर के अपना खातिर ई बतावल मत भुलाएम. स्वाइन डिजाइनर मास्क तरह तरह के हो सकेला. देशभक्ति चाहे सरकार भक्ति देखावे खातिर मास्क तिरंगा बनावल जा सकेला, साड़ी कपड़ा से मैचिंग मास्क हो सके ला. सोशलाइट लहरायमान अंदाज में कह सके ली कि, यू सी, मेरी साड़ी से मेरा मास्क मैचिंग है. नो, पर्पल कलर का मास्क ब्लू साड़ी पर मैच नहीं करता, यू सी मिसेज गुप्ता को जरा सा भी सैंस आफ मास्क नहीं. सेंस आफ ड्रेसिंग के साथ सेंस आफ मास्क भी मंगता है. वगैरह वगैरह. पार्टीबाजी एकरा बिना होइये ना सके.

3 - अगर रउरा स्वाइन फ्लू के डाक्टर हईं, त मस्त रहीं. टीवी चैनलन के धन्यवाद दीहिं, कि उनका कृपा से अब पब्लिक कैंसरो के स्वाइन फ्लू समझे लागल बिया. एक जने हार्ट एक्सपर्ट बतावत रहले हार्ट क पेशेंटो अब स्वाइन फ्लू के डाक्टरन किहें जा रहल बाड़े. लोग के दारु क लाइन का धक्कामुक्की में चोट लाग जात बा त उहो ड्रेसिंग वगैरह करे वाला डाक्टर क लगे ना जा के स्वाइन फ्लू क इलाज करवावे चल निकलत बाड़े. स्वाइन फ्लू क अलावा अब दोसर कवनो बीमारी रहिये नइखे गइल.

4 - अगर रउरा स्वाइन फ्लू क डाक्टर ना हईं तबहियो मस्त रहीं. थोड़ही दिन में पब्लिको के समुझ में आ जाई कि जवना के ऊ स्वाइन फ्लू समुझत रहलन, दरअसल ऊ हाई ब्लड प्रेशर रहुवे आ तब तकले मामला तनी बिगड़ चुकल होखी आ इलाज लमहर चली.

5 - अगर रउरा पुलिस वाला हईं त रउरा खातिर कवनो खास फर्क नइखे. रउरा त बस लाठी चलावे के बा. दहशत में पब्लिक अस्पतालन पर टूट रहल बिया, रउरा ओहिजा लाठिये भर चलावे के बा.टेस्ट भा दवाई क इंतजाम अलबत्ता हमनी का सरकार के लगे नइखे बाकिर लाठियन के पूरा इन्तजाम बा, ना जाने कब से बा. से रउरा त बस लाठीये चलाईं.

6 - हँ अगर रउरा पब्लिक में से हईं तबो कवनो फर्क नइखे पड़े वाला. रउरा मलेरिया से टें बोलत बानी कि स्वाइन से, का अन्तर पड़त बा. मलेरिया से मरे वाला आजुओ स्वाइन से मरे वालन का मुकाबिले बेसी बाड़न बाकि उनकर फोटू नइखे आवत. मलेरिया क अब मीडीया भा टीवी चैनल वाला बीमारी नइखन मानत. टीवी चैनलोन पर फोटू देखवावे क बा त स्वाइन फ्लू ले आईं ना!


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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