चले लइकवा समती के पतई बिटोरे हो, होऽ

प्रभाकर गोपालपुरिया

ए बेरी फगुनवा में घरे से बार-बार फोन आवे कि ए बाबू तूँ लोग-लइकन के ले के घरे चली आव अउरी ए बेरी के होली तूँ गउँए मनावऽ. मलिकाइनियो कहली की घरे फगुआ मनवले ढेर दिन हो गइल बा अगर चलि-चलल जाइत त ठीके रहित. हम सोंचनी की हमहुँ दु-तीन बरीस से फगुआ में घरे नइखीं रहल, तऽ काहें ना ए बेरी के फगुआ घरवे मनावल जाव. हम चारु परानी मतलब मरदे, मेहरारू अउरी दुनु लइका ए बेरी फगुआ की दु-चार दिन पहिलहीं घरे पहुँची गइनी जाँ.

जहिआ समती फुँकाए के रहे ओही दिन सबेरवें माई मलिया में बुकुआ अउरी कड़ू के तेल ले के अंगना में बइठी गइल अउरी लागल हाँक लगावे, 'ए बड़को! ए मझिलो. काहाँ बाड़ु जा हो? लइकवन कुल्हि के भेजऽ जा, बुकुआ लगा दीं. '

भउजी आके माई से कहली, 'ए अम्माजी! सब लइका दुआरे खेलताने कुल्हि. हम पानी चलवले बानी. बैठाइनियो अबहिन ले नाहीं अइली. पहिले चलीं हम रउआ के बुकुआ लगा दे तानी अउरी ओकरी बाद रउआँ नहा लीं. जब लइका अइहन कुल तऽ मझिलो चाहें हम बुकुआ लगा देइब जा. '

तबले कहीं हम दुआरे से अइनी. हमके देखते माई हाँक लगवलसि, 'ए मझिलू! अइबऽ. तनि तोहके बुकुआ लगा लीं. तहके बुकुआ लगवले केतना दिन हो गइल. '

हमरा से रहा नाहीं गइल अउरी हम छछाके, धधाके माई क लगे पहुँचि के लगनी बुकुआ लगवावे. ओ बुकुआ की बहाने त हमरा माई के दुलार पावे के रहे. माई बुकुआ लगावति रहे अउरी हमरा से बतिआवतो रहे. माई कहलसि, 'ए मझिलू. तूँ केतना दुबरा गइल बाड़ऽ हो? हड्डी-हड्डी लउकताऽ. '

हम मनहीं में सोंचनी कि लइका केतनो मोटाइल होखो बाकिर माई क नजर में ऊ दुबरइले रही. लइका केतनो खइले होखे पर माई की नजर में ऊ हरदम भुखइले रही. धनी हऊ ए माई! हम माई के बाति अनसुना का तरे कऽ के पुछनी, 'ए माई! समती की दिने बुकुआ काहें लगावल जाला रे?'

माई भोलापन से कहलसि, 'ए बाबू! बुकुआ लगवले की बाद जवन देंही पर से झिल्ली (मइल) छूटेला ओमें सब रोग-बेयाधी रहेला. ओ झिल्ली के समती मइया की संघवे जरवले से सब रोग-बेयाधी जर जाला. समती मइया सब रोग-बेयाधी अपनी संगे ले के चली जाली. '

खैर ई त सही बाति बा कि बुकुआ (उबटन) लगवले से बहुत सारा चमड़ा से संबंधित रोग ठीक हो जाला अउरी मनवो खुस हो जाला. जब घर भर क लोग के बुकुआ लागि गइल त सब झिल्ली (मइल) एगो कागज में राखि के अउरी दु-चारि गो गोहरा ले के समती में डालि अइनीं.

साँझि खान कुछु लइका चिलात अइने कुल्हि, 'चले लइकवा समती के पतई बिटोरे हो, होऽ. ' तबले कहीं बाबा चिलइने, 'भगबऽ जा कि ना? एक महीना से बहुते समती के पतई बिटोरलऽ जा. जा-जा खा पी के आवऽ जा. 9-10 बजे समती जरावे के बा. '

समती जरवले की जुनी गाँव भर एकट्ठा हो गइल. सब लइका लुकारा बनवले रहने कुली. पंडीजी आ गइनीं. मुन्नर काका आपन नगाड़ा ले के आ गइने अउरी लगने डमडमावे. पंडीजी समती मइया की लगे कोर कलसा रखववनीं अउरी तेल-बतिहर कऽ के दीया जरा देहनीं. एक-आध गो मंतर बोलनीं अउरी एक आदमी समती मइया के पाँचि भाँवर घुमि के आगी लगा देहल. समती मइया जरे लगली अउरी लइका कुल्हि लुकारा भाँजे लगने. बुढ़वा गोल ढोल, झाल ले के लागल फगुआ गावे, 'हम सुमिरत पवनकुमार, अंजनी के द्वारे....'

समती जरवले क बाद सब लोग अपनी-अपनी घरे आ गइल. बिहाने पहर लइका लगने कुल्हि कहे, 'समती मइया मरी गइली, पुआ पका के धरि गइली, सब केहु के खिआ गइली..... ' हमनियो जान गोल बना के समती मइया की लगे गइनी जाँ अउरी उहवाँ से राखि उठा के एक-दूसरे क कपारे लगा के पँवलग्गी अउरी हथमिलउवल भइल, फेनु खूब गोबरउअल अउरी धुरिखेल भइल. पूरा देह गोबर अउरी धूरि में सना गइल रहे.

दुपहरिया में नहइले-धोवले की बाद घर-घर घुमि के फगुआ गावल चालू हो गइल. फगुहरन कुल्हि क उपर लागल रंग अउर अबीर बरसे. केहु पहिचान में ना आवे. जेकरी-जेकरी दुआरे पर फगुआ होखे ओकरी-ओकरी इँहा से रस चाहें बतासा चाहें लड्डू बाँटल जाव. कुछ लोग छोहारा-गड़ी बाँटें. हम गाँव क लोगन खातिर परदेसी रहनी ए वजह से जेकरी-जेकरी दुआरे पर जाईं, ओकरी-ओकरी दुआरे पर हमरा के खाए खातिर पुआ, जाउर जरुरे आवे. हमहूँ हींक लगा के दबा-दबा के खइनीं. गाँव-घर के नेह पा के अघा गइनी.

दूसरे दिने सबेरे चिखुरी बाबा का घरे पहुँचनी. उनकी दुआरे पर कोल्हू चलत रहे अउरी कुछु लइका बहरवें होरहा लगावत रहने कुल्हि. जब हम चिकुरी बाबा के गोर लगनी त ऊ कहने, बनल रहऽ. ए बाबू तें केकरी घर के हउए? तबले भितरी से बटोरन काकी बो कहली, 'पहिचानत नइखीं; टुन्ना बाबू हईं, सभापति बाबा के नाती. ' एतना सुनते चिखुरी बाबा गदगद हो गइने अउरी कहने, 'आउ बाबू, आउ. बइठू, बनल रहऽ. ' तबले कहीं ईयो (चिखुरी बाबा बो) आ गइली. हम उठि के उनहूँ के गोड़ लगनी. ईया कहली, 'होरहा खा अउरी कचरस पीअS ए बाबू, तूँ लाख बरिस जीअऽ. '

एकरी बाद हम लइकन कुल्हि क संघे बइठी के होरहा खइनी अउरी एक लोटा कचरस पिअनी.

फगुआ के आनंद अउरी उहो गाँव में ! पूछऽ मत काकी, उ गँवई मजा अउरी दुलार कहीं ना मिली.


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