मानवता मरल नईखे, मारि दिहल गईल बा.

प्रभाकर गोपालपुरिया

कुछ दिन पहिले के बाति हऽ. एकदिन साँझी खान पार्ला जाए खातिर ४२२ नंबर के बस पकड़नी. हमरी संगवे हमरिए गाँव के एक जाने अउरी रहने. बसवा में हमनीं जान के बइठे के सीट मिली गईल. जब बस कुछु दूर आगे गईल तऽ केतने मनई चढ़ी गइने अउरी बसवा ठसाठस भरी गईल. हम जवने सीटवा पर बइठल रहनी उहवें एगो मेहरारू जबन बुरका पहिनले रहे, आके खाड़ा हो गईल. हम ओ मउगी के आपन सीट देबे खातिर उठल चहनी तवलकहीं हमरी गउआँवाला हमके खींची के कहने की काँहा उठतारऽ हो? हम कहनी की हे मउगी के जगही देबे खातिर; देखत नइखऽ मेहरारू जाति खड़ा बिया. हमरी गउआँवाला हमके फट से खींची के बइठा लेहने अउरी कनवा में कहताने, देखत नइखऽ, बुरका पहिनले बिया.

हम कहनी की, अरे भाई! बुरका पहिनले से का हो गईल, हिन्दू होखे चाहें मुसलमान, हमरा ओसे का करे के बा. मेहरारू जाति हव एह से आपन सीट देहल हमार फरज हऽ. हिन्दू धरम में काहाँ कहल गईल बा की दूसरे धरम की आदमी से नफरत करे के चाहीं." हमनी जान के बाती अबे होते रहे तबे उ मेहरारू भीड़ की वजह से थोड़े अउरी आगे बढ़ी गईल. उ जेंव अगवा बढ़ली तेंव एगो धोती-कुरताधारी मनई जवन चननो लगवले रहे खड़ा हो के आपन सीट ओ बुरकाधारी मेहरारू के दे देहलसी.

हमरी आँखी में से पानी आ गईल, एकबेर हम अपनी गँउआवाला की ओर ताकीं अउरी एकबेर ओ धोती-कुरताधारी पंडीजी की ओर. हमार मनवा कहलसी की मानवता न मरल बा ना कबो मरी. ऊ हमेशा हर धरम पर हाबी रही. हाँ कुछु लोग अपनी मानवता के मारी दे ले बा.

हमरा से रहाइल ना अउरी हम अपनी गँउआवाला से कहनी की आज की बाद एइसन मुद्दन पर तू भुलाइयो के दखलअंदाजी मत करिहव नाहीं तऽ ठीक नाहीं होई. पहिले मानवताबाद फेनु कवनो धरमबाद. मदर टेरेसो कही के गईली, "जब हमनीजान ओ मनई से पेयार नाहीं कऽ सकेनीं के जवन आँखी की सामने बा, लउकत बा तऽ हमनी जान भगवान से कइसे पेयार कऽ सकेनी के जवन लउकते नइखे." कहे के मतलब इ बा की प्राणी-पेयार से ही भगवान के पेयार मिली.

अब ज्यादे नाहीं लिखब.

पाँव लागीं.


रिसर्च एसोसिएट, सीएसई,
आईआईटी, मुम्बई