दवा कुछ बताईं ना

डा॰कमल किशोर सिंह

हमरा का देखि के रउआ मुस्काईं ना
हंसी रउआ आवे, हम शर्म से गडि जाई ला.

माई, बाबू कहे लें कि कुछुओ ना खाई ला.
पता नहीं कइसे हम, आताना मोटाई ला

आंटे ना पोशाक नाया सालो सिलवाई ला
बाथा आपन मनवा के कहि नहि पाई ला

बाल उगल गाल पर, छिपाई नहीं पाई ला
गर्दन लागे गन्दा कतनो साबुन लगाईं ला

मेहनत , परहेज हम सभे आजमाई ला
हो सके त हमरा के दवा कुछ बताई ना.

खाना कैलास ख़राब देह,आ खानवे दवाई बा , 'कमल' कहले- 'तनी अल्पाहार आज़माई ना'.


रिवरहेड, न्यूयार्क