मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
 

-मंतोष कुमार सिंह
 

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

शांति से सुख मिली सबके
रीति से प्रीत पागल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

आस-प्यास के करीं चाकरी
पूजा-पाठ के कायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

याद से दिल के राज बताईं
रंग-रूप के पायल हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।

मेल-भाव से प्यार जगाई
चारू ओर उजाला हो जाई।

मन में श्रद्धा के दीप जलाईं
जग में प्रेम उजाला हो जाई।


लेखक पत्रकार अउरी गीतकार हईं
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