कविता

बिश्वास के धग्गा

नूरैन अंसारी,

टूटत बा बिश्वास के धग्गा, बहुते जल्दी टूटत बा.
गैर लोगवा आपन होता, आपन लोगवा छूटत बा.
जरत बा रिश्ता के दिया अब मतलब का तेल से,
गरज न होखे पूरा त लोग बात-बात में रुसत बा.
घर के बात बतावल जाता दोसरा गावं के लोग से,
तीसरा क चक्कर में पड़ के दोसरा के घर फूटत बा.
मत पूछी त बढ़िया होई, अब हमदर्दी के बात,
शादी अउर सराधे में अब हित नात भी जुटत बा.
कहे के लोग आपन बा बाकिर काम पराया के बा,
एह कलयुग में बाप के हाथे, बेटी के इज्जत लूटत बा.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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