कविता

केतना बदल गइल ज़माना.

नूरैन अंसारी,

ना रहल पुरनका लोग, ना रहल जुग पुराना.
भरल बाज़ार में झूठा मारे, सच्चाई पर ताना.
केतना बदल गइल ज़माना.

लड़की राखे केश छोटा, लडिका राखस लम्बा.
लव मैरिज़ के घटना पर लोग के होखे न अचम्भा.

बीतल जुग चिठ्ठी के, जबसे आइल बा मोबाइल.
कम कपड़ा में बाहर निकलल बनल बा स्टाइल.
लाज शरम के रीत हो भईया हो गइल पुराना.
केतना बदल गइल ज़माना.

धरम के दुकान चलावे लागल इहाँ अधर्मी.
संस्कार के शिक्षा देबे लागल बा बेशर्मी.
पूजा पाठ के बेरा चलेला हर घर में अब टीवी.
मरद सम्भारस चुल्हाचउका, बेडे पसरस बीबी.

मंदिर-मस्जिद में बाजेला रोज फ़िलिम क गाना.
केतना बदल गइल ज़माना.
ख़तम भइल मन क नगरी से मोह-माया आ प्यार.
एके गो आगन में उठल जबसे कई कई गो दीवार.

अब त औरत करे नौकरी मरद अगोरस घर के.
बाबू जी से पहिले बेटी खोजेली अब वर के.
हर क्षेत्र में मरद से आगे होगइली जनाना.
केतना बदल गइल ज़माना.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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