कविता

नेताजी

नूरैन अंसारी,

दिन भर में दस हाली धांगत बाड़न गाँव.
केहू के चुमस माथा, केहू के छुअस पाँव.
केतना बदल गइलन नेताजी, आवते चुनाव.
हाथ जोड़ के वोट खातिर कइसे घिघियात बाड़े.
लोग देत बाटे गाली तबो ऊ खिखियात बाड़े.
जनता के बात पर नाही तनको खिसियात बाडेन.
इ उहे हउवन काल्ह तक जेकर गजबे रहे भाव.
केतना बदल गइलन नेताजी आवते चुनाव.
झकले ना एको हाली, गइलें जब से जीत के.
चिन्हले हमेशा अपना रिश्तेदार, अपना हित के.
भुल गइलन साफा ई राज-धरम के रीत के.
आज पड़ल जब जरूरत त करत बाड़ें छाव.
केतना बदल गइलन नेताजी आवते चुनाव.
कइलें ना काम कभी जन-प्रतिनिधि के.
थमले इ डार हरदम हरिहर ओधि के.
आज दोष सगरी देत बाडेन अपना बिरोधी के.
लहावत बाडेन जीते खातिर एक से एक ई दाँव.
केतना बदल गइलन नेताजी आवते चुनाव.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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