कविता

बेटी

नूरैन अंसारी,

बड़ा भाग्य से घर में होला बेटी के अवतार.
लक्ष्मी मान के पूजा करऽ, मत समझऽ तू भार.
दोसरा घर के सम्पत हई तहरा घरे ना रहिहन.
उठते डोली इनकर ई एक दिन सपना हो जइहन.
चल जइहेन फेर छोड़ के तोहार घर आ संसार.
बड़ा भाग्य से घर में होला बेटी के अवतार.

हर केहू ए दुनिया में आपन भाग्य लेके आवेला.
खरचा नाहीं केहू के, दोसर केहू चलावेला.
सबकर दाता उहे हउवन जेकर बा महिमा अपार
. बड़ा भाग्य से घर में होला बेटी के अवतार.

ई संसार के जननी हई, मत रउवा दुत्कारी.
बेटी के बिपत समझ के ताना कबो ना मारी.
बबुनी के भी बबुआ खानि करत रही दुलार.
बड़ा भाग्य से घर में होला बेटी के अवतार.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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