झगरू

रवि कुमार गिरी

एही नाम से जानल जात रहले ऊ. उनकर बड़ा बढ़िया नाम रहे बाकिर गरीबी के भेट चढ़ गइल. रउरा लोग जानते बानी पइसा वाला मोहन बाबू ता गरीब मोहना हो जाला. आ इहे हादसा झगरुओ के संगे हो गइल रहे. बड़ा सुघर आउर नीमन नाम रहे उनकर. अब सौभाग कहीं भा दुर्भाग, उनकर नाम गाँव के एगो अमीर आदमी से मिलत रहे. अबहियों रउरा जानल चाहेम कि उनकर का नाम रहे त जान लीं, रघुनाथ. उनकर बाबूजी जब उनके नाम ध के बोलावस त मलिकार के घर के लोग के बाउर लागे. रघुनाथ में अवगुन कहीं भा गुण एगो बात रहे कि ऊ केहू पर अत्याचार होखत ना देख सकत रहलें आ ऊ केहू के झगड़ा फोकटे में किन लेस. एकरे फायदा उठा के मलिकार के घर क लोग उनकर नाम रख दिहलस झगरुआ रघुनाथ. आगा चल के हो गइलन झगरू.

झगरू, कोलकाता काम करे खातिर अइलें. ईहाँ ओह घरी जे आवे ओकरे जूट मिल में काम मिल जाव. आ रघुनाथ माने झगरूओ के काम मिल गइल. तबो नाम के असर उनकर के ना छोरलस. एक बेर अइसन भइल की फैक्टरी के मैनेजर एगो मजदूर के सुतला में पकड़लस आउर ओह मजदुर के मारे लागल. ई बात झगरू के निमन ना लागल आउर ऊ मैनेजर के उठा के पटक दिहले. मैनेजर के कमर टूटल, इनकर नौकरी गइल. ओकरा बाद झगरू गाँव लवटि गइलन.

गाँवे पहुँचलन त उहाँ के माहौल एकदमे बदल गइल रहे. साँझ भइला क बाद केहू पुरुब बगीचा का तरफ ना जाव. कारन ई रहे की गाँव में एगो साँढ़ आ गइल रहे जवन लोग बार के तंग करत रहे. जे केहू साँझ के लोटा लेके पुरुब बगीचा का तरफ जाव ओकरा के ऊ दउड़ा दउड़ा के मारे. झगरू लोटा लेके चल दिहले. लोग मना कइलस बाकिर झगरू नाम के असर, ऊ कहाँ माने वाला रहलें? जइसहीं ऊ इनार क लगे पहुँचले ओने से साँढ़ चल दिहलस. ऊ चिल्ला के कहलन कि हमरो नाम झगरू हऽ. हमरा से केहू ना लागे. बाकिर ऊ साँढ़ कहाँ माने वाला रहे. इनका इयोर चल दिहलस. झगरूओ लोटा जमीन पर राख के झट से तइयार हो गइलें. ऊ जइसहीं उनका लगे आइल ओकर दुनू सींघ पकड़ के उठा के पटक दिहले आउर धीरे से ओकरा कान में कहले हमर नाम झगरू हऽ समझलऽ? ऊ साँढ़ के जइसे छोड़ले ऊ उठ के भागल. ओकरा बाद जब कबो ऊ साँढ़ केहू के तरफ बढे आउर ऊ आदमी झगरू के नाम ले लेव त साँढ़ उल्टा भाग खड़ा होखे. एह तरे झगरू क वजह से गाँव में आइल मुसीबत चल गइल.

झगरू का बारे में आउर जाने के चाहत बानी त पढ़ीं अगिला कड़ी के.


रवि कुमार गिरी,
कोलकाता, पश्चिम बंगाल