सन्तोष ओझा

मारीशस के शानदार भोजपुरिहा

अक्टूबर २००७ के दूसरा हप्ता में हमरा सपरिवार छुट्टी मनावे मारीशस जाये के मौका मिलल. जतना सुनले रही स आ सोचले रहीं स, मारीशस देश त ओकरो ले सुन्नर मिलल बाकिर जवन बाति सबले बढ़िया लागल ऊ ई कि ओहिजा के लोग अतना मिलनसार बा कि मन जीत लिहल लोग. एह लेख क लिखला का पाछा हमार इहे कामना बा कि सब केहू से एह बाति के हम मिल बाँटी.

मारीशस क कुल आबादी बारह लाख में से लगभग दू तिहाइ लोग भारतीय मूल के हवन. ओह लोग के अपना भारतीय मूल पर गर्व बा आ ओह लोग का हिसाब से मारीशस एगो छोटमोट भारत हऽ. ई देख के हमरो बहुत खुशी भइल कि ओहिजा के हिन्दू इण्डो मारिशियन लोग अपना भाषा, अपना संस्कार, अपना संस्कृति, अपना रहन सहन, ापना खानपान के तरीका वगैरह के अब ले सँजो के रखले बा.

ओह लोगिन से ठेठ भोजपुरी में बतियावे में जवन मजा आइल कि मत पूछीँ! ठीक बा कि ओह लोग के आम बोलचाल क भाषा क्रेओल, फ्रेंच भाषा के एगो बोली, हऽ. बाकिर ऊ लोग अपना परिवार में भोजपुरिये में बतियावेला. जइसहीं ओहलोग का मालूम होखे कि हमनीका भोजपुरिहा हईं जा ऊ लोग तुरते हिन्दी भा अंग्रेजी से हट के भोजपुरी में बतियावल शुरु कर देव. एह भोजपुरी में अंग्रेजी भा फ्रेँच भा क्रेओल क कवनों फेँट ना भेंटाव. एकदम हमनीका आरा जिला जइसन बूझाव. हमनी के दूनु बेटा, जेकरा के ऊ लोग छोकड़ा कहि के बुलावे, जबे कबो हिन्दी में कुछ बोलसु तऽ लोग तुरते टोक देव कि अपना मातृभाषा के जनि भुलावऽ!

अपना तरफ के खाना पूरा मारीशस में हर जगहा मिलेला. हमनी का जहाँ ठहरल रहीं जा ओह होटल में यूरोपियन भरल रहलन स, बाकिर तबहियों हमनी के पराठा आ तरकारी भर पेट मिलल करे! पराठा के ओहिजा लोग फराटा कहे लिखेला. बजका, जवना के ऊ लोग बाजा कहेला, आ पकौड़ी के त गन्ध स्वाद अबहीं ले जीभ पर बसल बा. दालपूड़ी, जवना के ऊ लोग डाल्हपुड़ी भा डौल्हपूड़ी कहेला, तऽ अतना स्वादिष्ट रहुवे कि मन कइल कि कुछ पैक करवा लिहल जाव अपना बंगलोर वाला घरे ले जाये खातिर. आजुकाल्ह हमनी का बेंगलोर में रहिलां. गौभी, बैंगन, लौकी, कोंहड़ा सब ओहिजा मिलेला आ पकावहूं के तरीका उहे बा जवन हमनी किहाँ बा.

मारीशस के हिन्दुवन में धार्मिकता आँतर ले पसरल बा. हर गाँव में एगो शिवाला आ हर घर क दुआर पर हनुमानजी के मूर्ति जरुरे मिल जाई. हमनी का जवना टूरिस्ट कार में घूमत रहीं जा ओहू में शिवजी, दुर्गा माता आ हनुमान जी के फोटो लागल रहुवे. मारीशस के लोग एगो गंगा तालाबो बना के रखले बा जहवां क शिवमन्दिर पर हर शिवरात्रि के जुटान होखेला. विदेशी पर्यटको एहिजा जरूर आवेलन. जब हमनी का गइल रहीं जा तब नवरात चलत रहुवे आ सब हिन्दू लोग नवरात मनावत रहुवन.

एगो आउरी खास बाति जवन लउकल ऊ इ कि सब बिआहल मेहरारू सेनुर टहकार के लगावेली. पूरा मांगि भरिके! बहुते का गला में मंगलसूत्रो लउके. साड़ी भा सलवार कमीज मेहरारुवन के पसन्दीदा पहिरावा लउकल, ओहिजा के मेहरारुवो काम में लागल बा लोग बाकिर सेनुर आ साड़ी कामो पर ना छूटे. शाडी बिआह के तौर तरीका हमनिये लेखा बा. एहिजे के तरे तिलक, हल्दी, माँड़ो, चौठारी आ गवनाके परम्परा ओहिजो बा.

बहुते लोग हमनी के सरिवार अपना घरे खाये खातिर नेवतल. बाकिर अतना कम दिन का छुट्री में इ सब ना हो पावल. अगिला बेरी जब जायेम स त इहो करिके देखम जा.

जे भी मारीशियन भाइ बहिन इ लेख पढ़त बा ओकरा के ऊ हमनी के धन्यवाद प्रेम से ग्रहण करो. हम आभारी बानी कि ऊहाँ का लोग अपना संस्कृति के डेढ़ दू सौ सला का बादो अबले जियवले रखले बानीं. आ जवन हिन्दुस्तानी भाइ बहिन लोग एकरा के पढ़त बा ओह लोग से निहोरा बा कि एक हालि मारीशस जरुर घूम आईं.

मारीशस देश आ ओहिजा के लोग बहुते सुन्दर आ शानदार बा!