बाजारू आ बिकाऊ बन गईल भोजपुरी त जिम्मेदार के?

शैलेश मिश्र

'का हो, का हाल बा?' अगर रउरा ई शब्द सुनले बानी, त निश्चित रूप से रउरा भोजपुरी भाषा से परिचित बानी भा भोजपुरी क्षेत्र का अगल बगल में बानी. कवन भोजपुरी ? जवन कालेजन का साहित्य विभागन में सड़ रहल बा ? जवन महतारी बाप गँवार कहाए का डर से अपना बाल बुतड़ू से बोलवावल नइखन चाहत? जवन दुनिया के हर कोना में हाजिर रहला का बादो भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नइखे हो पावत? आ कि ऊ भाषा जवन सीग्रेड म्यूजिक अलबम आ फिलिमन का चलते मजाक आ निंदा के विषय बनि गइल बा आ भोजपुरिहन के अपना मातृभाषा आ पहिचान के बतावे में लाज के अहसास दिलवावत बा? हम एहिजा बालीवुड भा पालीवुड के फिलिमन में दरसावल गँवारू आ बाजारू स्टाइल मे बनल निम्न भोजपुरी सामग्री के ना, बलुक पूर्वांचल में कई सौ साल से चलत आ रहल शुद्ध आ निठाह भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के बात कर रहल बानी. भोजपुरी एगो अइसन भाषा हऽ जवन अपना मिठास से सभ केहू के आकर्षित कर लेबे ले. सादगी आ गाँव के रंग में सराबोर भोजपुरी आजु पइसा, पिक्चर, आ परिवर्तन के अग्नि परीक्षा से गुजर रहल बिया.

पिछला हफ्ता 'विश्व भोजपुरी दिवस' मनावल गईल जेकर शुरूआत कबीर जयंती का इतिहास से जुड़ल बा. संत कबीर जनता का आम भाषा में बोलत रहन जवना के असर लोगन पर तुरते होत रहे. केहू के समुझावे भा आपन विचार व्यक्त करे खातिर मातृभाषा से निमन माध्यम दोसर ना होला. भोजपुरी अइसने सरल सहज भाषा हऽ. पूर्वी यूपी, बिहार आ झारखण्ड में प्रचलित भोजपुरी भाषा केहू के परिचय के मोहताज नइखे. तबहियों ई दोहरावल जरुरी बा कि भोजपुरी संसार के कई गो देशन में बोलल जाले, सिंगापुर से ले के अमेरिका ले, फिजी से ले के त्रिनिडाड तक, नेदरलैण्ड से ले के मारीशियस, सूरीनाम, उगाण्डा, दक्खिनी अफ्रीका, नेपाल, आ आस्ट्रेलिया तक ले. संसार के हर कोना में भोजपुरी भाषा कवनो ना कवनो रूप में निवास करे ले. आरा बलिया छपरा देवरिया भोजपुरी बेल्ट के एबीसीडी मानल जाला. भारत में भोजपुरी क्षेत्र एक से बढ़ के एक माई के लाल दिहले बा. आजु के सिवान जिला से प्रथम राष्ट्रपति डा॰राजेन्द्र प्रसाद, बागी बलिया से स्वतंत्रता सेनानी मंगल पाण्डेय, आ बलिया से देश के पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर, सभे भोजपुरी से जुड़ल रहे. भोजपुरिहा परम्परा हऽ कि परमार्थ के स्वार्थ का उपर मानल जाला, आपन हित से अधिका समाज आ देश के हित के महत्व दिहल जाला.

सन् ६२ में जब 'गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ईबो' रिलीज भईल त केहू सोचलहूं ना रहे कि भोजपुरी फिलिम इंडस्ट्री बालीवुड का बाद दोसरका बड़हन इंडस्ट्री बन जाई. कुछ लोग त एकरा के भोजीवुड के टाइटलो दे दिहले बा. सस्ता बजट में निमन फिल्मन आ गीतन का सफलता से चउँधिया के आजु हर केहू भोजपुरी फिलिम बनावल चाहत बा आ करोड़पति बने के सपना देख रहल बा. ईहे वजह बा कि जेकरा भोजपुरी के क ख ग तक ले मालूम नइखे, जे भोजपुरी भाषा से कवनो तालुक नइखे राखत, उहो चंगू मंगू एक्टर एक्ट्रेस गायक गायिका के लेके आ बालीवुड के फ्लाप स्टारन का सहारे भोजपुरी फिलिम रिलीज करे लागल बा. ई अलग बाति बा कि भोजपुरी फिलिमन में रवि किशन आ मनोज तिवारी जइसन निमनो कलाकारन के मउका मिलल बाकिर गेंहू का साथे घुनो पीसा जाला. भोजपुरी भाषा अब सिरिफ बिजनेस बनि के रह गईल बा आ एकर जिम्मेदार सभे बा, भोजपुरिहो आ ना-भोजपुरिहो.

भोजपुरी संगीत में लोक रस निहित बा आ कजरी, झूमर, निर्गुण, चइताचईती का साथे चटनी आ सोहरो शामिल बा. एनडीटीवी चैनल पर 'जुनून कुछ कर दिखाने का' प्रोग्राम में भोजपुरी गायिका कल्पना आ मालिनी अवस्थी माटी के लाल का रूप में भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के एगो नया झलक देखवले बाड़ी. एहसे लोगन के विश्वास फेर से लवटि आइल बा. मारीशियस में मशहूर 'बाजा बाजे वोयस' म्यूजिक बैंड भोजपुरी चटनी के फेर से एगो नया रुप में पेश कइले बा जवन बाबला कंचन के 'फुल्हौरी बिना चटनी के' इयाद ताजा कर देत बा. ऊ त निमन भइल कि मनोज तिवारी पहिले भोजपुरी भजन गा लिहलन आ भोजपुरी संगीत आ फिलिम के पुनर्जीवित कइलन, ना त भोजपुरी संगीत का नाम पर 'यू ट्यूब' पर रउरा एक से बढ़ के एक अश्लील भोजपुरी विडियो मिली. ईहाँ तकले कि विदेशी रैप आ पॉपो 'भोजपुरी रैप' आ 'भोजपुरी डिस्को पॉप' के रूप ध लिहले बा. अइसनका मिक्स्ड आ विकृत गाना वइसने बा जइसन धोबी के कुत्ता ना घर के ना घाट के. 'चोलिया में गोलिया' हो, भा 'रिमोट से लहंगा उठे', चंद पइसा आ सुने वालन के अलावा भोजपुरी के नवही कलाकार भोजपुरी भसे के ना चूसलन, भोजपुरिहा आत्म सम्मानो के ठेस चहुंपवले बाड़न. का एही दिन के देखे खातिर पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी आ पद्मश्री शारदा सिन्हा अतना साल ले तपस्या कइली? दोष कलाकारन के नइखे, बनावे वाला निरमतन के बा जे रुपिया का ताकत से बाजार के गरमवात बाड़े.

यदि बालिएवुड के नकल करे के रहे त भोजपुरी भाषा के बलि के बकरा काहे बनावल गइल? आइटम साँग का खोज में आ मीडिया के चकाचउँध में भोजपुरी बिकाऊ हो चलल बा. सांच त ई बा कि बालीवुड में चांस ना मिलला का वजह से भा फ्लाप फिलिमन के कतार से भाग के कई गो आर्टिस्ट भोजपुरी फिलिम आ संगीत का बाजार में घुसल बाड़े. कवनो फिलिम इंडस्ट्री के पाके में समय त लागबे करे ला. अब निमन भोजपुरी फिलिमन आ गाना के निमन कलाकारन का साथ जोड़े के भरपूर कोशिश हो त रहल बा, बाकिर भोजपुरी भाषा आ समाज पर जवन दाग लाग चुकल बा ओकरा के मेटावे खातिर ढेर समय लागी आ एकर करजा चुकावे खातिर बड़हन कीमत अदा करे के पड़ी. भोजपुरी के बाजारू आ बिकाऊ बनावे के जिम्मेदार लोग भोजपुरी भाषा के अपराधी बा, एकर फैसला भोजपुरिया समाजे करी, जे यूपी, बिहार, आ झारखण्डे ना संसार का हर कोना में भोजपुरिया गतिविधियन पर नजर राखेला.

ई त बहुते निमन बा कि भोजपुरी से लोगन के जिविका मिले लागल बा बाकिर खाली मीडिया आ फिलिम संगीत से जुड़ल लोगे एकर फायदा उठा रहल बा. ओह लोग के शायद इहो नइखे मालूम कि आजु पूर्वांचल आ बिहार में भोजपुरी के लिखाई पढ़ाइ के उचित इंतजाम नइखे. कालेजन में भोजपुरी विभाग खातिर पइसे ना, कुर्सी आ कमरो के कमी बा. केन्द्र सरकार मैथिली, मराठी जइसन भाषा खातिर त पइसा देबे ले बाकिर भोजपुरी खातिर फूटलो कौड़ी ना. संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल ना भईला का चलते असली भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के विकास ना हो पावल. परिणाम ई भईल कि 'भोजपुरी के शेक्सपियर' भिखारी ठाकुर, 'लोहा सिंह' वाला रामेश्वर सिंह 'कश्यप' के ऊ सम्मान ना मिल पावल जइसन 'गोदान' आ 'गबन' लिखे वाला प्रेमचंद के मिलल. सरकार 'भिखारी ठाकुर अवार्ड' के स्थापना त कर दिहले बिया बाकिर तबहियो भोजपुरी पर केहू खास धेयान नइखे दिहले. कलकत्ता के 'भोजपुरी माटी', बलिया के 'पाती', आ लखनऊ के 'भोजपुरी संसार पत्रिका' अबहियो मोर्चा सम्हरले बा. 'सुरंगमा', बिहार, के डा॰ पुष्पा प्रसाद भोजपुरी लोकस्वर आ 'रंगश्री', दिल्ली, के महेन्द्र प्रसाद सिंह भोजपुरी नाटकन के जिअतार राखे में बाजार के परवाह कइले बिना जतना मेहनत कइले बाड़े ऊ सराहे लायक बा.

नई दिल्ली, पंजाब, मुंबई होखे भा सिलिकन वैली बेंगलुरु, रउरा ई जानि के अचरज होखी कि एह सभ क्षेत्रन के उन्नति भोजपुरिए समाज का कान्ह का सहारे भईल बा. पूर्वी यूपी, बिहार आ झारखण्ड के लोग भोजपुरी इलाकन के बढ़ल आबादी आ नउकरी धंधा के कम मउका का चलते देश का दोसरा प्रान्तन में गइले आ ओकरा खातिर काम कइले. बाकिर अब भोजपुरिहा समाज जागरुक हो चुकल बा आ हालात बदल रहल बा. भोजपुरिहा लोग हिन्दी फिलिमन में गोविन्दा का तरह अब खाली गंवार, कुली,आ खैनी खात नौकरे ना बनसु. भारत का कई प्रान्तन में भोजपुरिया समाज आ संगठन बा बाकिर अबहियों लोग भोजपुरी बोले से कतरात बा आ ओह लोगन में आत्म विश्वास आ आत्म सम्मान के चेतना के कमी बा. भाषा त केहू कतनो सीख सकेला, बाकिर मातृभाषा एके गो रही. भोजपुरी में लंठता आ शिष्टता दुनू होला आ भोजपुरी संस्कृति से जुड़ल लोग कर्मठ आ सक्षमो बा. कहल जाला कि भोजपुरिहा जब कुछ ठान लेबे ला त करियो के देखा देला.

विदेशन में भोजपुरी समाज के गठन तेजी से हो रहल बा. 'भोजपुरी एसोसिएशन आफ नॉर्थ अमेरिका', बाना, सिंगापुर के 'भोजपुरी सोसाइटी', उगाण्डा, मस्कट, त्रिनिडाड, मारीशियस आ आस्ट्रेलिया में बढ़त भोजपुरी कदम शुभ संकेतक बा जे भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के प्रचार सात समुन्दर पारो कर रहल बाड़े. देश का बाहरो भोजपुरी के महत्व मिल रहल बा बाकिर भारत में अपने जमीन पर भोजपुरी भाषा के दुर्गति हो रहल बा. निष्कर्ष साफ बा, रउरा भोजपुरी जानत बानी भा नइखी जानत, भोजपुरी के वर्तमान हालात खातिर सीधे जिम्मेदार बानी भा ना, हर दोसरा भाषा का तरह भोजपुरीओ के सम्मान दिहीं, वइसहीं जइसे महतारी केहू के होखो, कवनो सूरत में होखो, महतारिये होखेले.


शैलेश मिश्र
डैलस, टैक्सस, अमेरिका
२२ जून २००८

चेन्नई में जनमल शैलेश मिश्र हिन्दी आ भोजपुरी भाषा के लेखक कवि हउवन; भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका के संस्थापक आ अध्यक्ष हउवन; भोजपुरी के प्रसिद्ध सोशल नेटवर्क - भोजपुरीएक्सप्रेस.कॉम के सृजनकर्ता हउवन. लेखक मूलतः बलिया जिला के डांगरबाद गाँव से जुड़ल बाड़े आ आजुकाल्ह अमेरिका के डैलस शहर (टेक्सास) में कंप्यूटर सॉफ्टवेर इंजिनियर बाड़े. ई-मेल संपर्क : smishra@gmail.com