गजल

कवन बात हो गइल

शिवानन्द द्विवेदी सहर

कवन खता हमसे कवन बात हो गइल,
की पहिला मिलन ही अंतिम मुलाक़ात हो गइल !
तहरी अंखिया पुतरी से अंजोर भइल जिनगी ई
फेर संझिये से पहिले काहें रात हो गइल !
दुःख की अन्हरिया में डूब गइली अतना
कि भूल गइली दिन, रात साथ हमरा हो गइल !
हर जाति पाति भेदभाव मिटा दिहली दिल से
त दुनिया में अलगे काहे हमार जाति हो गइल !
जब बिपत्ति के बदरी पहाड़ बनि के गिरल
जवन कबो नाही सोचनी उहे बात हो गइल !
लिखत लिखत साँझ कब ढल गइल आजु के
कि पते ना चलल कब रात हो गइल !

शिवानन्द द्विवेदी सहर, सुपौत्र श्री नन्द लाल दुबे, ग्राम + पोस्ट - सजावं, थाना - लार, जिला - देवरिया (यू. पी.)
वर्त्तमान पता :
शिवानन्द द्विवेदी,
इ - १० , दूसरा तल्ला
साउथ एक्स. पार्ट -१ , नयी दिल्ली