हरेन्द्र कुमार

सुष्मिता सान्याल के डायरी - २

ठीक दू सप्ताह बाद सुबेश लाहिड़ी आपन कम्प्युटर खोल के बईठलन. बाहर लाल बत्ती जल गइल. माने ई एक घंटा ऊ आफिस के विशेष काम करे में व्यस्त बाड़ें.

कम्प्युटर कैलेंडर में अपने आप नोट पेज आइल. फेर माउस क्लिक से ऊ परिवार अदालत बाक्स दबवले. लिखल आइल - राज्यवार ब्यौरा संलग्न एक्सेल शीट में.

माउस क्लिक राज्यन के लिस्ट. प्रत्येक का सामने दू गो बाक्स बनल रहे. एगो ग्राफिक डाटा आ दूसर विस्तार डाटा खातिर. पहिले ग्राफिक डाटा दबवलन सुबेश. प्रत्येक राज्य के साल का अनुसार ग्राफ रहे. ओकरा संगे सारा भारतो के ग्राफ रहे जवना से बुझात रहे कि ओह राज्य में तलाक के दर सारा देश क तुलना में ज्यादा बा कि कम. एक एक कर के प्रत्येक राज्य के ग्राफ सुबेश देखे लगले. आईआईटी के छात्र रहलन सुबेश. उनका खातिर ग्राफ आ गणितीय वर्णन स्वाभाविक तौर पर बड़ा ही सरल रहे. बीसवीं सदी आ इकीसवीं सदी के अंतर साफ बुझात रहे. जहां बीसवीं सदी में ग्राफ एक्स-अक्ष से सटल रहे वहीं इकीसवीं सदी में ऊपर का ओर तेजी से बढ़ल जात रहे. दोसर बात अउर दीखत रहे. २०१० तक जवना राज्यन में तलाक ना के बराबर रहे उहां बाद का सालन में ग्राफ करीब-करीब वाई-अक्ष का समानांतर हो गइल रहे.

"अरे बाप रे! " हठाते सुबेश का मुँह से निकलल. लागऽता देश से एक पति एक पत्नी सिद्धांत खतम होखे वाला बा. मंत्री जी के प्रति उनका मन में पहिला बार अच्छा विचार आइल. ई नेता लोग वाकई देश के समस्या का तरफ नजर राखेला. नौकरी पेशा लोग के दिन त हाय कैरियर! हाय कैरियर! करे में बीते जाला.

ऊ कुर्सी से उठलन. एक बार खड़ा होके देह सीधा कइलन. फ्लास्क से कप में काफी ढार के पियल शुरु कइले. दू तीन चुस्की का बाद फेर कुर्सी पर बइठलन. उनकर हाथ अपने आप माउस क्लिक से खेले लागल.

अबकी बार राज्यवार तालिका प्रत्येक साल के तालिका से अलगा रहे. कॉलम बनल रहे -

  • १. केस संख्या तारीख का साथ/li>
  • २. वादी पक्ष
  • ३. प्रतिपक्ष
  • ४. फैसला के तारीख
  • ५. फैसला
  • ६. अभ्युक्ति

फैसला वाला कॉलम तीन भाग में बँटल रहे : तलाक स्वीकार, तलाक अस्वीकार, वापिस लिहल गइल.

वापिस लिहल केस परफरमो सुबेशे लाहिड़ी बना के दिहले रहस. एक बार फेर से राज्यवार डाटा खोले लगलन. एक एक कर के राज्य आवे लागल. आंध्र प्रदेश, अरूणाचल, असम, छत्तीसगढ़ - सुबेश के आपन राज्य. कुछ देर खातिर सुबेश का दिमाग में शहर रायपुर घुमे लागल. रायपुर के एकमात्र पब्लिक स्कूल सेंट थॉमस में उनकर १४ साल गुजरल रहे नर्सरी से बारह तक. १९८९ से २००३ तक. ना अभी समय नइखे सोचे के. आपन सर झटकलन. अपना बाबा के बात अनायास दुहरा दिहले -

"Never look behind boys
When you are on the way.
On some future day."

(रास्ता जब ठीक लागे पीछे मुड़ के मत देख बच्चा. ओकरा खातिर काफी समय मिली तहरा भविष्य में)

सुबेश के अंगुली माउस क्लिक कर दिहलस. दोसरा राज्य के डाटा कम्प्युटर स्क्रीन पर सामने आ गइल. फिर दोसर. फिर दोसर.

सबसे आखिर में पश्चिम बंगाल. सुबेश एक बार सोचलन. ना जाने बंगाली सब के का बुद्धि बा. कलकत्ता के कोलकाता बनावे खातिर लगातार आंदोलन भइल रहे. लेकिन वेस्ट बंगाल ना बदलल. दुख के बात इहे रहे कि बंगाली होखलो पर सुबेश ना त बंगला बोल सकस ना लिख सकस. बंगाली भाषा में ऊ सिर्फ मां आ बाबा छोड़ के कुछ ना बोल सकस. शुरु में जब दोसर लड़िका मॉम डैड भा मम्मी पापा कहिके अपना माता पिता के संबोधन करस त उनकर मां बाबा कहल उन्नीसवीं सदी के संबोधन जइसन सुनाव. लेकिन सुबेश खातिर ऊ मां बाबा संबोधन भगवान के नाम जइसन रहे. एतना उपर अइला का बादो उनका मुँह से अनायासे मां शब्दे निकलेला.

आईआईटी का दिन में उनका के चिढ़ावल जाय ई कहिके कि - आ, आ गइले माँ के आँचल से.

अइसने छोट-छोट इयादे आदमी के जिन्दा राखेला. चाहे काम का बोझ में दबल रहे भा फुर्सत में. यादन के एक बार फेर झटक के सुबेश डाटा पर मन स्थिर कइले.

बंगाल का ग्राफ में बड़ा अंतर रहे. शुरु का दिन में तलाक के ग्राफ पूरा भारत का तुलना में उपर रहे लेकिन बाद में नीचे चले लागल रहे. केसन के लिस्ट पर नजर दौड़ावे लगलन. लिस्ट नीचे से उपर रहे. अर्थात २०२८ से शुरु भइल रहे. २०२८ में कुछ देखे लायक ना रहे काहे कि कवनो फैसला आवे में कम से कम दू साल लागत रहे. अइसहूं तलाक का मामला में कानूनन कम से कम एक साल समय दीहल अनिवार्य रहे.

सुबेश के गणितीय दिमाग सारा डाटा दू भाग में देखत रहे. १९९० से १००० आ २००० से २०२५. काहे कि कवनोठोस प्रस्ताव खातिर एगो खासे डाटा के जरुरत होला. यदि डाटा सम्हार में ना आई त प्रस्ताव ना तईयार हो सकी. एकरा के कहल जा सकऽता परिणाम निश्चित करके परीक्षा.


अगिला कड़ी फिर कुछ दिन में.