शहीदन के शहादत के सलाम?

Ravi Kishan

रवि किशन

२६ नवम्बर २००८ आजाद हिन्दुस्तान के मनहूस तारीखन में से एक. रात के पौने दस बजे कटक में भारतीय क्रिकेट टीम क्रिकेट के जन्मदाता देश इंगलैण्ड के बुरी तरह हरावे में लागल रहे आ दोसरा तरफ देश के आर्थिक राजधानी कहाये जाये वाली मुंबई के ताज होटल, ओबराय ट्राइडेण्ट होटल, नरीमन हाउस आ छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के धरती आतंकी हमला में बेगुनाहन का खून से ला होखत रहुवे. ई सब कुछ अतना जल्दी भईल कि लोग के सोचहूँ के मौका ना मिलल कि का हो रहल बा. एक ओर त हमनी का लगातार प्रगति का राह पर बढ़ल जा रहल बानी जा, हमनी का चांदो के फतह कर चुकल बानी आ ओहिजो तिरंगा फहरावल जा चुकल बा. उहे तिरंगा जब ३० नवम्बर के घवाहिल चोटिल आ मर्माहत ताज पर फहरावल जात रहुवे त एगो अजबे सिहरन मन के छू जात रहुवे. उहे ताज जे तीन दिन तकले नरपिशाचन का कब्जा मे रहल, रह रह के जवना में आग के शोला भड़क जात रहुवे, जेकरा सामने मीडीया आ देश के निगाह जड़वत अड़ल रहुवे, आखिरकार आतंकियन का कब्जा से मुक्त हो गईल, मुंबई फेर आजाद हो गईल आ देश भर के लोग चैन के साँस लिहल. बाकिर का देश साचहूं मुक्त हो सकल ? जाबाँज कमाण्डो, सुरक्ष दस्ता आ पुलिस के साझा कार्रवाई फिलहाल त राहत दिलवा दिहलसि बाकिर हर केहू जानत बा कि ई राहत क्षणिक बा. आतंक अबहीं खतम नईखे भईल, बस टारल गईल बा. कब तकले खातिर, ई केहू का नईखे मालूम.

आजु हमनी के हिन्दुस्तान तेजी से एगो बड़ शक्ति का रूप में उभर रहल बा. अब हमनी के देश कवनो चीज के मोहताज नईखे. दुनिया भर के निगाह हमनी का बढ़न्ती पर लागल ना बाकिर हमनी के पड़ोसिया के ई तरक्की पचत नईखे. खैर ई त मानवीय स्वभाव हऽ. आजु हालत ई बा कि भारत समेत दुनिया के सगरी विकसित देश आतंकवादी गतिविधियन से थर्राइल बाड़न. कवनो महीना अईसनका ना बीते जवना में भारत में कवनो आत्की वारदात ना होखे. अब सवाल उठत बा कि काहे ?

हर बेर लेखा अबकियो बेर तुरते पाकिस्तान के जिम्मेदार ठहरा दिहल गईल. दोसरा खातिर गड़हा खोने वाला पाकिस्तान आजु अपनहीं ओह गड़हा में डूबत उपरात बा. बेनजीर भूट्टो के खून अबहीं सूखलो नईखे. मुंबई हमला में पाकिस्तान के कतना हाथ रही ई त जाँच के विषय बा, बाकिर एह सच्चाई के नकारल ना जा सके कि हमनी का आपन जमीन जरूर आतंकियन खातिर खुलल छोड़ दिहले बानी सन. पाकिस्तान के नीयत त खराब बड़लहीं बा भारते का दम पर आजाद होखेवाला बांगलादेशो हमनी खातिर कम नुकसानदेह नईखे. पूर्वी बिहार के कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, आ अररिया जिला में त ऊ ओहिजा के राजनीतिओ चलावेले सन. सवाल उठेला कि जब हमनी के मालूम बा कि हमनी के पड़ोसियन के नीयत ठीक नईखे त हमनी का सतर्क काहे ना रहेनी सन ? अब देखे के बा कि देश के नेता लोग का करत बा.

समय आ गईल बा कि नेता लोग दलगत राजनीतिक नफा नुकसान छोड़ के, क्षेत्रवाद के टूच्ची राजनीति छोड़ के, मजहबी वैमनस्य आ भाषागत भेदभाव छोड़ के देश हित का बारे में सोचो. ना त ई भेड़िया हमनिये का घर में घुस के हमनी के खून चूस के हमनी के अपने घर से निकाल दीहें सन. पूरा दुनिया भलहीं मंदी से जूझत होखो, हमनी के ओहूले बेसी खतरा आतंकवाद से बा. बाकिर वाह रे हमनी के राजनेता .... ओह लोग के आतंकियो हमला में राजनीति लउकत बा. रउरा सभे के त मालूमे बा कि आजु काल्ह हम केरल में शूटिंग कर रहल बानी. आतंकी हमला का बाद एक दिन खातिर मुंबई गईल रहीं. तब शहीदन के श्रद्धांजलि देबे वाला कमसेकम एकसौ बोर्ड देखले होखम. सब पर मुंबई पुलिस के करकरे, कामटे आ सालस्कर का अलावा दोसरा के जिक्र ना रहुवे. लोग कइसे भुला गईल कि संदीप उन्नीकृष्णन आ गजेन्द्र ओकनी का साथ आमने सामने का लड़ाई में शहीद भईल रहे लोग. मुंबई पुलिस में सबइंसपेक्टर का पद पर काम करे वाला तुकाराम आंवले त वाकई एगो हीरो का तरह शहीद भईलन. अगर ऊ जिन्दा पकड़अइल आतंकी के एके ४७ के नली अपना सीना पर ना लगवले रहते त ना जानेकतना बेगुनाह आउरी मरइतें. हमार त ई मानल बा कि आतंकियन का खिलाफ कार्रवाई में मराइल सभे पुलिस कर्मी शहीद बाड़न आ राउर रविकिशन सुक्ला शहीदन के शहादत के बारंबार सलाम करत बा आ नेता लोग से निहोरा करत बा कि शहीदन के पहिचान उनुका जाति धरम भाषा भा प्रान्त से ना करसु. ई हमला खालि मुंबईये पर ना रहुवे, पूरा देश पर रहुवे. हम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के उद्घोषक विष्णू झंडे के भी प्रणाम करत बानी जे हमला का समय टीसन पर खाड़ यात्रियन के सही मारंगदर्शन कईलन. आरपीएफ के ओह कांस्टेबल जिल्लू यादवो के प्रणाम करत बानी जे एगो डंडा का बल पर अंधाधुंध गोली चलावत एगो आतंकवादी के ७ मिनट ले रोकले रह गईलन. अगर टीसन पर चलत सीसीटीवी एह सीन के दर्ज ना कइले रहित त उनुकर बहादुरी के चरचा दबिये जाईत.

२६ नवम्बर के हमला से आजु समूचा देश विचलित बा. मुंबई से हजारन किलोमीटर दूर एहिजा केरलो में ओकर असर देखे के मिलल रहुवे. हमनी का पूरा यूनिट अतना अपसेट हो गईल रहनी सन कि २७ तारीख के शूटिंग रद्द कर दिहनी सन. दुनिया के अहिंसा आ शांति के पाठ पढ़ावेला हिन्दुस्तान आजु अपनहीं लहुलुहान काहे बाटे ? एह बात पर हमनी के आत्ममंथन करे के होखी आ आरपार के लड़ाई लड़े के होखी. बात कईल आसान होला बाकिर ओकरा के बेवहार में ले आवल ओतने मुश्किल. भारत एगो बड़हन देश हऽ आ ओकरा सीमा के सुरक्षा आसान चुनौती नईखे. ई देश आजाद रहे, आबाद रहे, एकर जिम्मेदारी खाली कमाण्डो के नईखे. अब त आतंकी कालिमा से उबरे खातिर हर भारतीय के भारत माँ के सपूत बनहीं के पड़ी. हमार तोहार, आपन गैर के भेदभाव मिटावहीं के पड़ी. साल २००८ अलविदा ले रहल बा आ २००९ दस्तक दे रहल बा. नया साल में अगर हमनी का इहे प्रण ले लीं त कवनो माई के लाल भारत माता का छाती पर आतंक के नंगा नाच करे के हिम्मत कईल त दूर सोचियो ना पाई.

जय हिंद.

रविकिशन