ब्रह्माण्ड भोजपुरी सम्मेलन

शैलेश मिश्र

चौंके के कवनो जरूरत नइखे. अईसन कवनो सम्मेलन अभी ले आयोजित नइखे भईल...पर आगे हो सकेला. पिछला दस साल में हम कईगो भोजपुरी सम्मेलन देखनी, सुननी आ आयोजित भी करवौनी. आजकल त भोजपुरी सम्मेलन आयोजित करे के फैशन चल रहल बा. फलाना के सहर में तीन-चारगो भोजपुरी सितारा बुलावs, नाला-टापू पार करके बिदेश से आवेवाला आयाराम-गयाराम, जे आपन निजी उद्देश्य से इंडिया आवे, ओकरा के माला-शॉल पहिनावे के बहाने आमंत्रित कर द, दू-चार गरजे-बरसे वाला नेता-वक्ता के ठूँस द, चार-पांचगो वाह-वाह ताली पीटे वाला कवि के मँच पर मायिक थमा द, कूल ड्रिंक पिया द, नचनिया-बजनिया के साथे तहलका मचा द - बस हो गईल तोहार भोजपुरी सम्मेलन के फ़ॉर्मूला तैयार ! अगिला दिन कवनो अख़बार-पत्रिका-वेबसाइट पर घोषित कर द - भोजपुरी सम्मेलन संपन्न और सुपर हिट. एकदम सरल आ आजमावल फ़ॉर्मूला बा. एहिसे सब एकर उपयोग कर रहल बा. ब्लैक मनी होखे भा सफ़ेद नोट, एन.जी.ओ, क्लब भा कंपनी खोलके चंदा लs, मालदार पार्टी पकड़s , पैसा लूट , नाम कमावs, जनता के झूठा आशा दिलायिके अगिला साल फेरु दोसरकी पारी के तैयारी में लग जा. कई साल से इहे होत आ रहल बा.

भोजपुरी के प्रचार-प्रसार करेके कईगो तरीका बा आउर भोजपुरी सम्मेलन एगो सशक्त माध्यम बा ! एतना जान लीं सभे कि केहू कम नइखे. भोजपुरिया नेता, अभिनेता, गायक-गायिका, संस्था के कर्मचारी - सब अपना के सर्वश्रेष्ठ ही मानेला. भोजपुरी मिलन केहू ना करावे, सभे सम्मेलन के नामे पर भीड़ जुटावेला. अखिल भारतीय सम्मेलन, विश्व सम्मेलन, शिखर सम्मेलन, पूर्वांचल सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन - जेतना बड़का नाम रख सकीं, रख लीं - केहू पूछी ना. अईसे हमरा "विश्व" शब्द के सम्मेलन में जोडला से ख़ास आपत्ति बा. भोजपुरी भाषा विश्व के कईगो कोना में बोलल जाला. त्रिनिदाद, फिजी, सुरिनाम, गयाना, मारीशस, उगांडा, नेपाल, सिंगापूर, अमेरिका और कईगो देश शामिल बा. अब दिल्ली, नेपाल, मारीशस के मिलायिके केहू विश्व स्तर के सम्मेलन घोषित करे, त ई बात हज़म नइखे होत. कभी-कभी भोजपुरी संस्था और संस्थापक के विद्वता पर भी मुस्कान आवेला. भारत के कवनो कोना में एगो कार्यालय खोल दिहें , ना संत्री-ना मंत्री, ना कवनो परिचय, ना वेबसाइट, ना कवनो मेम्बरशिप आंकड़ा, ना कवनो सार्वजनिक उद्देश्य, बाकि आयोजित कर दिहें - अखिल भारतीय स्तर के भोजपुरी सम्मेलन. भारत में कईगो प्रांत बा, अखिल भारत के भोजपुरिया के जुटावेके ताकत बहुत कम लोगन में बा. अईसन में लोग आपन झंडा "भोजपुरी सम्मेलन" तक ही सीमित रखे, त बढ़िया रहित.

अगर दोबारा बिना सही तर्क के कवनो सम्मेलन आयोजित होखी, सबके जुटावले बिना बड़का-भारी सम्मलेन सुनाई पड़ी, बिना पूरा भारत भा विश्व के मिलवले - हमरा के "विश्व", "अखिल भारतीय", "अंतर्राष्ट्रीय", सर्व-प्रांतीय, "सगरो पूर्वांचल", "पुरबिया बयार", "पच्छिमी-विद्रोह" के नौटंकी वाला सम्मलेन के बारे में खबर मिली, त आगे से हम घरे पे चाय-समोसा खियायिके अगिला भोजपुरी सम्मेलन के "ब्रह्माण्ड भोजपुरी सम्मलेन" घोषित करब. आखिर भारत विश्व में बा, आ भारत में बैठे, विश्व के लोगन के बिना विश्व सम्मेलन संपन्न हो जात बा. त हम ब्रह्माण्ड के हिस्सा बानी, ब्रह्माण्ड भोजपुरी सम्मेलन बिल्कुल कर सकेनी. हमार सभे संस्था से निहोरा बा कि आगे से हर केहू "विश्व" स्तर ना बलुक "ब्रह्माण्ड" स्तर पर भोजपुरी सम्मेलन आयोजित करे.

भोजपुरी सम्मेलनन से अनेक फायदा बा. एकरा माध्यम से हमनी के आपन भोजपुरिया समाज के एक-जुटता के सन्देश देत बनी जा आउर गैर-भोजपुरियन के आगे शक्ति-प्रदर्शन भी करत बनी जा. हमार एतने इशारा बा कि सम्मेलन के नाम जैसन हो, अइसने प्रतिनिधि भी ओहमे शामिल हो, नाही त नाम बड़े और दर्शन छोटे वाला किस्सा बा.


(लेखक के उन्मुक्त विचार निजी तौर पर व्यक्त भईल बा, एहसे कवनो संस्था-पत्रिका-वेबसाइट के कवनो सम्बन्ध नइखे)