बरखा भा ना बरखा

- सुनीता नारायण

Sunita Narain

पिछला पखवारा टीवी स्क्रीन पर सबसे बेसी नजर आइल छवि सूखा के रहुवे. एह पखवारा देश के बड़हन हिस्सा पानी में डूबल रहले. एगो अनिश्चित मानसून हमनी के जिनिगी पर पूरा असर डलले बा. देरी से भइल बरखा का चलते बुआई में बाधा आइल, त अति बरखा का चलते जनजीवन प्रभावित हो गइल आ भावी किल्लत के बीजारोपण हो गइल. क्षेत्रीय असंतुलनो बहुते बड़ बा. एह से नम रहे वाला उत्तरपूर्वी भारत आ धान उत्पादक पंजाब आ हरियाणा में सूखा पड़ल बा. मानसून के ई रुप शायद भविष्य मौसम में आवे वाला बदलाव के सूचक बा.

पिछला पखवारा हम कहले रहीं कि भविष्य खातिर एह बदलाव के ध्यान में राखे के पड़ी. हमनी के तेजी से सीखे के पड़ी कि दू गो बड़हन बदलाव, असंतुलित बरखा आ दिन पर दिन बढ़ल जा रहल पानी के जरुरत, के ध्यान में राखत कइसे अपना जल नीति में फेर से जान ले आवल जाव. त अब हमनी के का कइल जाव?

त आईं हमरा के भावी जलनीति के खास तत्वन के उल्लेख करे दीं - बदलाव के एजेण्डा.

पहिला, त हमनी के पानी का बारे में जाने के मिशन के जरुरत बा. एह मिशन में अतिसंवेदी जल मापक उपकरण चाहे ऊ उपग्रह से होखे भा भूजल संवेदी यंत्र से होखे, से मिलल पानी के भण्डार का बारे में लोग के बतावे के पड़ी. एकरा के एह तरह से बनावे के पड़ी कि हर जानकारी के तेजी से हर किसान, हर गृहिणी तक चहुँपावल जा सके. दुनिया के सबसे बड़ सूचना तंत्र वाला जल भविष्यवाणी संकल्प.

दूसरका, हर गाँव, हर कारखाना, हर शहर खातिर पानी के योजना. हर गाँव का लगे ओकरा इनारन के नक्शा होखे जवना में जल स्तर का बारे में जानकाड़ी अंकित रहे. भूजलभण्डार में का परिवर्तन आ रहल बा ई बात सबका जानकारी में रहे. पंचायत भवन में गाँव वालन खातिर पानी के निकासी मार्ग के नक्शा रहे जवना से हर ग्रामवासी बरखा का दिन में बहत पानी के संरक्षित कर सके. एह बदे हमनी के सोचे के तरीका में बड़हन बदलाव के जरुरत पड़ी. अबहीं त जमीन के भीतर के जल के लघु सिंचाई स्रोत का रुप में मानल जा रहल बा, जबकि एही स्रोत से अधिकतर गाँवन आ शहरन के काम चल रहल बा. जलस्तर आ जल के गुणवत्ता बनावल राखे खातिर बहुते कम धेयान दिहल जा रहल बा.

केन्द्र आ राज्य सरकारन भूजल बोर्ड जब तब नियमित उपयोग में ना रहल इनारन के पानी के स्तर नापे के काम करत रहेलें. एह तरीका पर विचार करे के जरुरत बा. दोसरे एकर आँकड़ा सार्वजनिक नइखे. जइसन कि हम सुनले बानी, भूजल के आँकड़ा के कम्प्यूटरीकरण में बहुते फिजूल के खर्चा हो रहल बा. विश्व बैंक का धन का बूते केन्द्र सरकार एगो राष्ट्रव्यापी योजना शुरु कइलस जवना में भूजल के स्तर के आँकड़ा बटोरे के काम करे के रहे. साफ्टवेयर एगो निजी वेण्डर के बनावल रहुवे. आँकड़ा बिटोरे के पुरनका तरीका खतम कर दिहल गइल आ संगही संगे फेंक दिहल गइल पुरनका आँकड़ा. अब नयका साफ्टवेयर कई जगहा कामे ना कइलसि. कई जगहा काम करे वालन के प्रशिक्षित ना कइल गइल. कई जगहा कम्प्यूटर फेल कर गइली सन आ केन्द्र सरकार आ साफ्टवेयर बनावे वाला वेण्डर में रखरखाव के सालाना खर्च के लेके विवाद हो गइल आ काम बन्द हो गइल. अब पुरनका आँकड़ा मौजूद नइखे, आ नयका के खोजले ना जा सके! एकरा के ठीक करल जरुरी बा. अब अनिश्चितता के एह युग में हर गाँव के जलशिक्षित बनावल छोड़ दोसर राह नइखे.

तीसरका, ग्राम भूजल सुरक्षा योजना कवनो भावी विकास खर्च के आधार बनावल जरुरी बा. नरेगा आ ग्रामीण पेयजल योजना के बजट के बड़हन हिस्सा पाँच साला जल सुरक्षा योजना में डाले के जरुरत बा. सब केहू पानी के हर बूँद बचावे का विकेन्द्रित योजना का बारे में बात कइल पसन्द करेला. समय आ गइल बा कि ई योजना बनावल जाव.

चउथे, हमनी का माँग का आधार पर काम करीं जा, ना कि उपलब्धता का आधार पर. ई सबसे खास बात बा. अबहीं सगरी सरकारी योजना हमनी का लगे कतना जल भण्डार भा एह पर बड़हन बड़हन बात करेला. अधिकतर आकलन ओतनो लायक नइखे जतना के कागज पर ऊ लिखल गइल बा आ एह बात के नजरअन्दाज कर देलें कि यदि कहीं सरप्लस पानी बा त ऊ बा गंगा आ ब्रह्मपुत्र का पेटी में जवना के देश भर तक चहुँपावल त दूर के बात लगे का लोगनो तक ना चहूँपावल जा सके.

हमनी का आपन दिमाग साफ कर लिहल जाव. पानी के इंजीनियर के जमकल दिमाग से बाहर ले आवे क जरुरत बा, जे बस अतने सोच सकेलें कि कतना बड़ बड़ संरचना बनावलजाव कि पानी के वितरण में बढ़ोतरी हो सके. पानी हर केहू के मसला बने के चाहीँ.

पँचवा, हमनी का शहरन के पानी आ कूड़ा प्रबन्धन के तरीका फेर से बनवला के जरुरत बा. ई एगो बड़हन अवसर बा. अबहीं शहर दूर दूर से पानी खींच के ले आ रहल बा. पानी ले आवे पर खर्च बेहिसाब बढ़ल जा रहल बा आ वितरण में बर्बादी ढेर बा. शहर अपना हर बाशिन्दा के पानी दे पावे में असमर्थ बा आ एह चलते पानी के योजना एगो दुष्चक्र बन गइल बा अभाव आ बहुतायत के. अब सोचे के तरीका के पलटल जरुरी बा. सवाल ई नइखे कि कतना पानी बा, सवाल होखे क चाहीं कि सबका पानी मिलो. जब सरकार पानी के एगो निश्चित मात्रा हर नागरिक के दिहल तय कर ली त ओकरा पानी के हर वितरण बिन्दू पर मीटर लगावे के पड़ी, आ उपयोग आ गन्दा जल के निस्तारण व्यवस्था पर होखे वाला खर्च हर घर से वसूले के पड़ी. एक हाली हमनी का शहरन के बड़का लोग के पानी के वास्तविक कीमत अदा करे लागो त फेर लागत घटावे पर काम करे के पड़ी, जेहसे कि पानी के वितरण ज्यादा सहज आ कम खर्चीला बनावल जा सको. एह चलते शहर अपना पानी के कीमत आ महत्ता जाने लागी आ अपना भूगर्भीय जल के सहेजे के चिन्ता करे लागी, काहे कि एकरे से पाईप आ पंपिग के खर्च घटावल जा सकी.

छठवाँ, पानी के हर बूँद के इस्तेमाल आ फेर फेर इस्तेमाल के योजना बनावे के पड़ी. समुद्री जल के पिये लायक बनावे पर बेहद खर्च कइला का जगहा गन्दा जल के फेर से इस्तेमाल करे लायक बनावल सस्ता पड़ी. ऊ दुबारा इस्तेमाल खेती खातिर हो सकेला भा उद्योघ खातिर. भा तनी आउरी खर्च कर के पिये लायक बनावे में.

आखिर में हम इहे कहल चाहम कि पानी के किल्लत, उपलब्धता, आ उपयोग हमनी के राष्ट्रीय चिन्ता के विषय बने के चाहीं. हम त कहम कि प्रधानमंत्री खुदे पहिलका पानी योद्धा बनस, आपन पानी के खरचा घटावस, बरखा के पानी के संरक्षित करस, आपन पानी के बिल सार्वजनिक करस, आ अपना कार्यालय आ आवास के पानी के खरच के सार्वजनिक लेखापरीक्षण करावस. एकरा बाद मुख्यमंत्री लोग अइसनका करे आ पानी पर राष्ट्रीय विकास परिषद के बईठका बोलावल जाव. विचार के मुद्दा बस एगो रहे, कइसे भारत के जल सुरक्षा निश्चित कइल जा सकेला. जवाब साफ आ बेलाग आवे के चाहीं. पानी खतम होखो भा ना समय खतम होखत जा रहल बा.

(August 2009)


Sunita Narain
Director
Centre for Science and Environment
41, Tughlakabad Institutional Area
New Delhi 110 062


सुनीता नारायण विज्ञान आ पर्याबरण केन्द्र से साल १९८२ से जुड़ल बाड़ी. उनकर बेसी ध्यान पर्यावरण आ विकास का अन्तर्संबंधन पर रहेला. उनकर कोशिश बा कि विकास सहज सुलभ होखो आ एकरा खातिर सार्वजनिक चेतना जगावे खातिर उहाँ का एगो पाक्षिक पत्रिको निकालेनी. ई लेख ओही पत्रिका के संपादकीय के अनुवाद हऽ. अनुवाद हमार हऽ, मूल लेख पढ़े खातिर डाउन टू अर्थ पर जाईं.

अनुवाद में कवनो तरह के विसंगति भा भूल के जिम्मेदारी हमार बा आ ओकरा खातिर हम पहिलहीं माफी मांग लेत बानी.

अँजोरिया भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट होखला का नाते आपन जिम्मेदारी समुझेले आ हमेशा एह दिशाईं लागल रहेले कि भोजपुरी में उत्कृष्ट सामग्री उपलब्ध हो सके. एही चलते बीच बीच में एह पर प्रतिष्ठित लेखक आ विचारक लोगन के रचना दिहल जात रहेला.

अँजोरिया सुनीता नारायण जी के कृतज्ञ बिया कि उहाँ का अपना लेखन के अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति दे दिहलीं.

- सम्पादक, अँजोरिया.