विश्व भोजपुरी दिवस
लखनऊ में आयोजित एगो प्रेस वार्ता में पिछला तीन अक्टूबर के विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव डा. अरुणेश नीरन बतवलन कि अब भोजपुरिया लोग हर साल २ नवम्बर के 'विश्व भोजपुरी दिवस' के रुप में मनावल करी.
२ नवम्बरे काहे? ई सवाल पूछला पर ऊ कहलन कि अपना देश से गइल भोजपुरिया लोग गिरमिटिया मजदूर का रुप में मारिशस के धरती पर २ नवम्बरे के पहिला हाली डेग धइले रहलन. एही से बहुत सोच विचार के हर साल २ नवम्बर के 'विश्व भोजपुरी दिवस' मनावे के फैसला लिहल गइल बा.
डा. अरुणेश नीरन एह घोषना का संगे संगे मनोज श्रीवास्तव के बनावल विश्व भोजपुरी दिवस के प्रतीक चिह्नो लोगो मीडिया का सोझा जारी कइलन. प्रेस वार्ता में मौजूद भोजपुरी सेवा संस्थान के अध्यक्ष डा॰ दिनेश तिवारी कहलन कि आजु विश्व पटल पर सउँसे भोजपुरियन के एक सूत्र में बन्हला के दरकार बा. एही से 'विश्व भोजपुरी दिवस' के घोषणा स्वागत जोग आ गरब के बात बा. ऊ इहो कहलन कि अंतर्राष्ट्रीय पैमाना पर एकरा के पसारे में विश्व भोजपुरी सम्मेलन के उठावल डेग तारीफ करे लायक बा.
एह मउका पर भोजपुरी सेवा संस्थान के महासचिव मनोज श्रीवास्तव कहलन कि २ नवम्बर का दिने मारिशस के आप्रवासी घाट पर पड़ल भोजपुरियन के डेग के परमान पोर्ट लुई के आप्रवासी घाट, 'जेकरा के अब यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित क चुकल बा' पर शिलापट्ट पर लिखल बा. ऊ इहो कहलन कि २ नवम्बर पर देश के बहुते नामी भोजपुरिया साहित्यकार लोग आपन सहमति जता चुकल बा.
स्रोतः आशा श्रीवास्तव, लखनऊ