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शलभासन

योग के छाया बदल दीहि काया - ३

Shalabhasan

ऋषि मुनि लोग एह आसन के नाम शलभासन एह चलते दिहल कि एह आसन करे का बेरा हमनी के देह शलभ भा टिड्डी जइसन हो जाले.

तरीका :

- जमीन पर मुँहकुरिये पेट का बल लेट जाईं.

- दुनु हाथ अपना जाँघ का नीचे राखीं.

- ठोढ़ी जमीन छुवत रहे.

- दुनु पैर के पंजा आ गोड़ एक दोसरा से सटल रहे.

- ओकरा बाद भितर का तरफ साँस खींचत डाँड़ का दुनु तरफ के हिस्सा उपर उठाईं. संगे संगे कान्ह, गरदन आ मुड़ियो उठे के चाहीं.

- शरीर के पूरा बोझा हाथ पर रहे के चाहीं. कोशिश रहे कि जाँघ बेसी से बेसी उठे.

- जतना देर ले आसानी से साँस रोकले एह आसन में रह सकीं रहीं आ फेर धीरे धीरे साँस छोड़त जमीन पर वापिस आईं.

- ई एक चक्र भइल. एह आसन के कम से कम तीन बेर से पाँच बेर ले दोहराईं.

फायदा :

एह आसन का अभ्यास से नाभि ना सरके. सीना आ कन्धा चौड़ा आ मजबूत होखेला. पाचन संस्था आ डाँड़ का नीचे, लोअर बैक, के हिस्सा मजबूत बनेला. औरतन के मासिक धर्म के दोष खतम हो जाले. गर्भाशय के दोष ठीक होखे लागेला आ गर्भ धारण में सहायता मिलेला. आँत, गुर्दा, आ अग्नाशय पैंक्रियाज के सक्रिय करेला. वीर्य दोष जइसन विकार दूर हो जाला.

चेतावनी :

हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप वाले, अल्सर, आ हर्निया के रोगी एकर अभ्यास मत करस. कवनो योगाभ्यास करे से पहिले अपना डाक्टरो से सलाह ले लीं.

सावधानी :

नया नया साधे वाला लोग खातिर ई आसन तनिका कठिन बुझाई एहसे अभ्यास में जल्दबाजी मत करीं.

नोट : योग गुरु सुनील सिंह के वेबसाइट पर योग के ढेरहन जानकारी मौजूद बा. जा के लाभ उठाईं.

http://www.yogagurusuneelsingh.com