भउजी हो

भउजी हो!

का बबुआ ? आजु कइसे ?

जब कवनो कुँआर लड़िका गांव के गरीब मेहरारूवन के झोपड़ी में रात बितावे लागे त ओकरा के का कहबू ?

लफंगा, चरित्रहीन आउर का ?

आ जब कवनो बड़का नेता आहे काम करे त ओकरा के का कहबू ?

दुनू के तुलना ना कइल जा सके. एगो अपना मतलब से रात बितावेला, दूसरका दोसरा का मतलब से. नियत नियत में फरक होला बबुआ जी.

बाकिर लोग के कहे सुने से कइसे रोक लेबू ?

कहे सुने के त लोग सीतो माई का बारे में कहल सुनल.

एहि से नू रामजी उनुका के जंगल भेज दिहलें. राजा के जनता के हिसाब से काम करे के चाहीं.

ओहि चलते नू राम जी का कहानी के ई सबसे कमजोर पहलू बन के रह गइल. जनमत हमेशा सही ना होखे. गलत सोचावट भा गलत जानकारी का आधार पर बनल जनमत के सुधारलो राजनीति के काम होला.

अच्छा भउजी, फेर आयब.

राउरे घर हऽ जब मन करे आ सकीले आ रात में ठहरियो सकीले. कनियो. कुछ ना कही.

प्रणाम भउजी, अब चले दऽ.