भउजी हो

भउजी हो!

कइसे कइसे? अबकी त दिवालिओ का दिने भउजी याद ना अइली.

माफ कर दऽ ए भउजी. तोहरा से झूठ बोल ना सकीं आ साँच बता ना सकीं. बस अतने बुझ जा कि मौका ना मिलल हा.

चलीं कवनो बात ना. देवर भुला जाव त भुला जाव भउजी ना भुलइहें. अब बताईं कवन बात मथले बा?

बुझात नइखे कि पुछीं कि ना पुछीं.

अइसन कवन बात हो सकेला जवने देवर अपना भउजाई से ना पुछ सके?

त चलऽ बता दऽ कि भईया जब तोहरा के बिआह के ले आइल रहलें तब तू कुँआर रहलू कि ना?

अधिकतर लड़की त बिआह का बेरा कुँआरे रहेली सन अब रउरा गाँव के बात दोसर होखो त अलग बात बा.

तहरा त मौका मिले के चाहीं उलटा बोले के. बाकि जबसे हम सुरसंग्राम में यूपी के फाइनलिस्ट मोहन राठौर के गाना भईया ले अइलें कुँआर भउजाई सुनलीं तबे से अझुराइल बानी.

जाये दीं, शायद ओह देवर के नवचाँस भउजाई के जरुरत होखी.

हो सकेला. सवाल पचीस लाख के बा त सड़क छाप गाना गावही के पड़ी, काहे कि अब फैसला न्याय मंडल का हाथ में नइखे, एसएमएस वालन का हाथ में बा.

ए बबुआ, भाषा पर से राउर पकड़ छूटल जात बा. न्याय मण्डल ना निर्णायक मण्डल कहीं.

भउजी जमाना अब अद्भुतास हो गइला के बा! बड़ा अद्भुत अद्भुत खेला हो रहल बा अब सुरसंग्राम में!