भोला बाबू

भोला बाबू आ लोकसभा चुनाव

ओह दिन भोला बाबू से भेंट भइल त पता चलल कि प्रचार से अबहियें लवटले हँ बाकिर चेहरा पर कहीं थकान ना रहुवे. पुछ बइठनि कि अतना खुश होखे के कारण का बा?

जवाब दिहलन कि जनता के सेवा के मौका.

हम कहनीं तनी विस्तार से बताईं. त भोला बाबू कहलन कि अबकि निर्दलीय होके चुनाव लड़त बाड़े. जातिगत समीकरण अइसन बईठ गइल बा कि जीते के सोरहो आना चांस बा. आ जीतला का बाद जेकर भी सरकार बने ओकरे साथे मिल जइहन आ अपना इलाका के जनता के भरपूर सेवा करीहन.

पुछनी कि का भोला बाबू ई अनेत के बात ना होखी, त कहे लगलन, बबुआ तु हउव पत्रकार, जनबऽ कुछ ना बाकिर सर्वज्ञ होखे के दावा करत रहबऽ. हम हईं अंगूठा छाप, बाकिर जनता के नब्ज धइले रहीले. अरे जब बिना कवनो दल क नाम लिहले लड़त बानी त जीतला का बाद हमार मर्जी कि केकर साथ दीहिं, एमे अनेत कहाँ से आ गइल?

भोला बाबू के बात हमरो समुझ में आ गइल काहे कि अबकि ढेरे भोला बाबू लोग चुनाव लड़ऽता.