– ऋतुराज
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
चोरी, हत्या, गरीबन के लूटल
होखेला रोज कुछ बलात्कार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
तेज हो रहल विकास पढ़ेनीं
उठ रहल भरोसा-विश्वास पढ़ेनीं।
सड़ रहल गोदामन में अनाज
भूख से मरत लईकन हजार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
विकास में तेजी किसानन के आत्महत्या
चारुओर ग्लोबलाइजेशन के बहार पढ़ेनीं।
वोट खतिरा जनहित बनल बॉंटे लड्डू
नेता-नौकरशाहन के भ्रष्टाचार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
सम्पत्ति ला मरत संसार पढ़ेनीं
भाई-भाई में भइल टकरार पढ़ेनीं।
जात-पॉंत में समाज भइल फॉंके-फॉंक
अदमिअत हो गईल शिकार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
दहेल लोभ में लईकी जरावल गईली
कश्मीर में आतंकी के मार पढ़ेनीं।
ईरान के परमाणु बा दुनियॉं ला खतरा
अमरीका में परमाणु के भंडार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
नैतिकता, चरित्र, सही-गलत कुछो नइखे
बेईमानन के सगरो भरमार पढ़ेनीं।
संपादक लिखेलन सभ ठीक हो जाई
होई एकदिन कवनो चमत्कार पढ़ेनीं।।
आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं
अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं।
ऋतु राज
वीरगंज, नेपाल