– ओ. पी. सिंह
गुजरात से राज्यसभा के तीन गो सीट ला भइल चुनाव में जइसन दाँवपेंच देखे के मिलल तइसन आजु ले देखे ला ना मिलल रहुवे. लोग त मान के चलत रहुवे कि राज्यसभा चुनाव कहहीं भर के चुनाव होला. एह में सबकुछ पहिलहीं से तय रहेला. कबो कबो एक सीट प मारामारी होखबो करेला त ओहमें बहुत सस्पेंस भा थ्रिल ना होखे. अकसरहां वइसन मौकन प कवनो धनी अपना धनबल से जीत के जोगाड़ बइठा लेबेलें. बाकिर गुजरात में अबकी जवन देखे के मिलल तवन राजनीति के बढ़िया पाठ पढ़ा गइल. बहुले लोग राज्यसभा चुनाव के बारीकी जान बूझ गइलें. खास बात ई कि अब के भाजपा में हर सीट जीते के लालसा बन गइल बा. जीत त जीत जहाँ हारो मिलत बा ओहिजो कवनो ना कवनो तिकड़म भिड़ा के आपन सरकार बना लेत बिया भाजपा. हद त भइल त्रिपुरा में जहाँ बिना चुनाव जीतले भाजपा मुख्य विपक्षी गोल के हैसियत पा लिहलसि. लोकसभा में कांग्रेस एह दरजा खातिर तड़प के रहि गइल बाकिर भाजपा के दिल ना पसीजल. अब राज्यसभा में एक सीट कांग्रेस जीतिए लिहलसि त का हो गइल. बाकिर भाजपा ओहू प आपन सगरी जोर लगा दिहलसि. लागल त इहे कि सोनिया गाँधी के खासमखास अहमद पटेल के हार तय हो गइल. एक तरह से तय होइयो गइल रहल. अगर बेसी उछाह में दू गो विधायक आपन वोट अमित शाह के देखवले ना रहतें त अहमद पटेल हारिये जइतन. बाकिर शतरंज के एह शहमात के खेल में आखिरी दाँव अहमद पटेले के लागल आ ऊ हारतो हारत जीत गइलन आ भाजपा जीतल बाजी हार गइल, पहिला नजर में एकरा के कांग्रेस के जीत आ भाजपा के हार मानल जा सकेला. बाकिर असल में ई भाजपा के जीत होखो भा ना, कांग्रेस के हार जरुर बा. 45 वोट के जरुरत का जगहा 57 वोट राखेवाली कांग्रेस के महज 44 वोट मिल पावल आ ओहूमें दू गो वोट दोसरा गोल से. दोसरा तरफ से देखीं त भाजपा एह लोग के पानी पीया दिहलसि. सगरी माथ पद हथियवला का बाद अब शायद ऊ कांग्रेस के अध्यक्षो पद जल्दिए हथिया ली. अब एह बाति पर चिहुँकला का जरुरत नइखे. भाजपा भक्त राहुल के आपन स्टार प्रचारक से कम ना मानसु. भाजपा का जीत में राहुलो के बड़हन योगदान मानेला लोग आ देर सबेर इनकर कांग्रेस अध्यक्ष बनल तय बा.
विरोध के आखिरी किला राज्यसभा के ढाहे में जवना दमखम से लागल बिया भाजपा तवना से बुझात बा कि बहुत कुछ होखे वाला बा. कश्मीर के भारत में विलय पूरा करावे का राह में खड़ा दू गो आखिरी बाधा जल्दिए खतम होखे वाला बा. 35ए आ 370 दूनू के दिन गिनल चुनल रहि गइल बा. अब ममता बीड़ा उठवले बाड़ी भाजपा के भारत छोड़ावे से. त मान लीं कि इनकरो उलटा गिनिती चालू हो गइल बा. देखल जाव कि अमित शाह इनका के कहिया भाजपा से जोड़ लेत बाड़न. त्रिपुरा के तृणमूल त भाजपा बनिए गइल, बंगालो के तृणमूली कहिया ले वन्देमातरम से अलगा रहीहें. आखिर बंगाली अस्मिता के सवाल बा. राष्ट्रगीत आ राष्ट्रगान दूनू अगर बंगाले से लीहल गइल त राष्ट्रवादो बंगाल के आपन बनाइए ली देर सबेर. एहसे भक्त लोग ममता का खिलाफ कुछ मत बोलो. लेफ्ट आ कांग्रेस के विरोध करत करत अगर फेरू ओह लोग का साथे हो गइली त भाजपो के विरोध करत करत एकदिन भाजपा का हाथ धइए लीहें. हम त ओही दिन के तिकवत बानीं. नीतीश के घर वापसी का बाद लभजिहादो के नशा देरसबेर उतरबे करी. वीपी पद से रिटायर होखत हामिद अंसारी अपना असुरक्षा ले के जतना घबड़ा लेसु. उनुका हटला का बाद राज्यसभा टीवीओ के दिन बहुरल तय बा. खलील खाँ बहुते दिन फाख्ता उड़ा लिहलन.
(13 अगस्त 2017 तारीख के समाज्ञा अखबार में अँजोर भइल)