– ओ. पी. सिंह
पाकिस्तान के आदत से तंग आ के पिछला हफ्ता भारत आपन “रणनीतिक संयम” के रणनीति छोड़ के पलटवार कइये दिहलसि. आ अइसन घाव दे दिहलसि कि ओकरा ना देखावते बनत बा ना बतावते. भोजपुरी के अखबार रहीत त “संपादकीय संयम” रखला बिना ऊ भोजपुरी कहावत वइसहीं दोहरा देतीं. बाकिर अखबार हिन्दी वाला ह से तनिका बदल के बतावत बानी कि “पिछाड़ के घाव ना देखावते बने ना सुनावते”. पाकिस्तान ना हल्ले कर सकत बा ना हमले. सबले बड़ परेशानी ई कि भारत ई काम कइलसि कइसे कि पाकिस्तान के नींदो ना टूटल आ भारत मार के चलि गइल.
एह बाति के भोजपुरी वाले मजा ले के सोच सकेले आ हम कहलो उहे चाहत बानी. भोजपुरी के सहजता हिन्दी के अनुशासन में बिलाइल जात बा आ कुछ भोजपुरिया चाहतो इहे बाड़ें कि भोजपुरी के आम आदमी के भाषा बनल मत रहे दीहल जाव, एकरा के सभ्य लोगन के भाषा बना दीहल जाव. अब एह सभ्यता का आड़ में कतना कारगुजारी हो जात बा उहो सभे देखत बा.
हिन्दुस्तानो में अइसनका नमकहरामन के कमी नइखे जे बिना पैटरनिटी जँचववले अपना बापो के बाप ना मान सकसु. उनुका ओह बेरा के सबूत चाहीं जब उनुकर बीया रोपाइल रहुवे. उनुकर माई जबले अपना पतिव्रता होखे के सबूत ना दे देसु तबले ऊ उनुका के छीनारे मनीहें. अरविन्द केजरीवाल, संजय निरुपम, दिग्विजय सिंह, पी चिदमबरम जइसन लोग अइसनके जमात से आवेला. ई लोग एह बाति के सबूत देखल चाहत बा कि भारत सचहूं पाकिस्तान के मार के चल आइल. एकरा पीछे के मकसद ई बा कि पाकिस्तान जान सको कि कवना तरह से ई सर्जीकल स्ट्राइक भइल, कवन तरीका अपनवलसि भारत, कवना साधनन के इस्तेमाल कइलसि.
महतारी कहत बिया कि ए बबुआ तू अपना बापे के जामल हउव, बाकिर ई लोग माने के तइयार नइखे. एह लोग के लागत बा कि जइसे दिल्ली में राशन कार्ड बनवला घरी के वीडियो बना लेलें आपिया कि बादो में वेरिफिकेशन होत रहे, वइसहीं उनुकर बापो बना के रखले होखीहें. माने के तइयार नइखन कि हर बाति के प्रमाण देखावल ना जाव. वइसे जेकरा अपना बाप के प्रमाण चाहीं से लैब जा के आपन डीएनए जचँवा सकेला. वइसहीं एह लोग के चाहीं कि पाकिस्तान के कराहल सुनो, टाँग पसार के चलत देखो आ मान लेव कि सचहूं पाकिस्तान के मरा गइल रहुवे ओह राति.
अगर ई बाति साफ ना रहीत त दुनिया के सगरी देश भारत के कइल कार्रवाई के जायज ना ठहरवतें. आजु पाकिस्तान दुनिया के आपन मुँह नइखे देखा पावत. केहु ओकर सुने भा माने ला तइयार नइखे. बाकिर पाकिस्तान के दलाली करे वाला एह अहिन्दुस्तानियन के चैन हेरा गइल बा. सोचत बाड़ें सँ कि अतना दिन से चलल आवत कायरता के रणनीति के छोड़ काहें दिहलसि भारत. पाकिस्तान अलगे परेशान बा कि परमाणु हमला करे के धमकी के ब्लफ गेम खोले के हिम्मत कइसे क लिहलसि भारत. पहिले त हर लड़ाई में हरला का बाद एगो शगूफा मिलल रहुवे परमाणु हमला करे का धमकी का रूप में, अब उहो छीन लिहलसि भारत. काठ के कड़ाही अब दुबारा चढ़ी त कइसे.
अब एह बदलल हालात में ओकरा आपन बचाव के राह खोजे के पड़ी. बलूचिस्तान के मामिला अलगे रंग पकड़ले जात बा आ अब लागत बा कि देर सबेर बलूचिस्तान के आजाद होखे से रोकल नइखे जा सकत. पाकिस्तानो में आवाज उठल शुरू हो गइल बा कि जब हाथ मे आइल बखरा बटोरा नइखे पावत त गाछी के फल खातिर बेचैनी काहे. आ पाकिस्तान के एह पीड़ा से परेशान बाड़ें हिन्दुस्तान में रहे वाला पाकिस्तानी दलाल. हिन्दुस्तान के संतोष इहे बा कि अमन के धंधेबाजन के अबहीं ठकुआ मरले बा आ अब ऊहो आपन धंधा चलावत रहे ला कवनो नया तौर तरीका खोजे में लागल बाड़ें. आ हम लागल बानी कि कइसे भोजपुरिया अंदाज में बेलाग बतिया सकीं आ सआदत हसन मंटो के कहल बाति दोहरा सकीं कि “औरत के छाती के छाती ना कहीं त का कहीं?”