– डॅा० जयकान्त सिंह ‘जय’
रबीस जापान में कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के पद पर काम करत रहस. उनका उहँवा एगो जापानी लइकी से नेह-सनेह बढ़ल आ एक दिन दूनो जने बिआह के बन्हन में बन्हा गइल लोग. लइकियो एगो बड़ दूध डेयरी कम्पनी के हाकिम रहे. दूनो जिनगी सुख-चैन से कटे लागल.
एक दिन रबीस बात-बात में अपना पत्नी से बहुते प्यार से कहलें – ‘ सुनऽ ताड़ू, एगो काम करऽ ना.’
उनकर पत्नी आउर उत्सुक होके बोलली – ‘कहीं ना, का बात बा ?’
रबीस -‘कहऽतानी जे, जदि तूँ चाहऽ त डेयरी से तोहार कमीनी पचीस प्रतिशत बढ़ सकता.’
रबीस के बात सुनके उनका पत्नी के उत्सुकता आउर बढ़ गइल आ ऊ पूछ बइठली – ‘से कइसे ?’
एह पर रबीस उनका के समझावत कहलें – ‘देखऽ जदि तूँ दूध में पचीस प्रतिशत पानी फेंटवा द त एकर पइसा निसोख बाँच जाई.’
उनकर पत्नी मुस्काके रह गइल ली. तत्काल कवनो प्रतिक्रिया ना दिहली. सबसे पहिले रबीस का एह तरह का विचार से उनका कम्पनी के अवगत करवली. फेर अपना दूध डेयरी कम्पनी के मालिक के अपना के बतावल योजना से परिचित करवली, जापानी आ भारतीय दूतावास से सम्पर्क करके रबीस का अइसन विचार के देश के जनता के साथ बिस्वासघात बतावत देशद्रोही साबित करवली कि जदि अइसन आदमी एह देश में रही त हमार जापान बरबाद हो जाई.
आखिर में ऊ रबीस से तलाक ले लेली आ जापान सरकार रबीस से चउबीस घंटा के भीतर देश छोड़े के आदेश जारी क दिहलस.