फेसबुक से फेस चमकावे के हुनर बखानत कहानी

by | Oct 27, 2014 | 0 comments

– आलोक पुराणिक

AlokPuranik

एगो कंपनी के चेयरमैन बुढ़ा गइल रहे. जमाना का चाल का हिसाब से ओकर सगरी बेटा-बेटी विदेश में सैटल हो गइल रहले. ओह जमाना में हर समझदार पुरनिआ अपना बाल बच्चन के इहे समुझावल करत रहे कि अगर तोहरा में काबिलियत बा त फेर इंडिया में काहे बाड़ऽ भा का करत बाड़ऽ. उहो दौर भारत-भूमि देखले बिया जब हर काबिल नवही से नीमन हिन्दुस्तानी बने का बदले सफल नान-रेजीडेंट इंडियन बने के उम्मीद राखल जात रहुवे. से हमरा कहानी के बुढ़ऊ के बेटी-बेटा अमेरिका-इंगलैंड में मस्त-व्यस्त रहले. एने बुढ़ऊ चेयरमैन के फिकिर धइलसि कि उनुका बाद उनुका कंपनी के के चलाई.

ई सवाल उठते बुढ़ऊ तय कइलन कि उत्तराधिकारी के सटीक चुनाव वैज्ञानिक तरीका से कइल जाई. अमीर बुढ़ऊ के बेटा हजार कहाउत का हिसाब से हजारो नवही उनकर वारिस बने के मनसा जाहिर कइले. ढेरे लोग वारिस बने ला आपन अरजी लगा दिहल. ओह हजारन अरजी में से चुन-छाँट के तीन जने के अरजी निकालल गइल.

चुने खातिर भइल साक्षात्कार में खास सवाल का कहीं, बस इहे सवाल पूछल गइल कि अगर रउरा समुझदार बानी त इंडिया में का करत बानी?

पहिला बंदा बतवलसि – इंडिया में खाए-पीए के तमाम संभावना मौजूद बा त बहरी काहे जाइल जाव. अमेरिका में बंदा कतनो खा लेव बाकिर पूरा के पूरा पुल भा पूरा के पूरा सड़क खाए पचावे के इंतजाम त बस इंडिए में बा.

दुसरका बंदा जबाब दिहलसि – नासमझ हवे ऊ लोग जे कमाए खातिर देश का बहरी जाला. समझदार लोग कमाई क के खुद त देश में रहेलें बाकिर आपन खाता स्विटजरलैंड में राखेलें.

तिसरका बंदा आपन जबाब कुछ एह तरह लिखलसि – देखीं, विदेशन में कमाए-खाए में बहुते आफत बा. ओहिजा के कानून अतना आराम से खाए ना दव. अमेरिका में छोटहनो चोरी पर लमहर सजाय हो जाला. बाकिर इंडिया में चोरी-चकारी करत रउरा एक दिन विधायक, सांसद भा मंत्री ले बन सकींले.

तीनों जवाब खासा समझदारी भरल रहे से तय भइल कि अब एह लोग के प्रेक्टीकल एक्जाम लिहल जाई.

तीनो जने के एगो फाइव-स्टार होटल में टिकावल गइल आ कहल गइल कि सुबह सबेरे कंपनी के हेड-क्वार्टर पर चहुँपे के बा.

पहिलका प्रत्याशी जब हेडक्वार्टर के गेट पर चहुँपल त देखलसि कि एगो बुढ़िया कराहत बिया. ऊ ओह बुढ़िया के अस्पताल चहुँपा के तब इंटरव्यू देबे चहुँपल. लेट से अइला का चलते ओकरा के डाँट मिलल.

कुछ देर बाद दुसरको प्रत्याशी हेडक्वार्टर के गेट पर पहुंचा, त ओकरो एगो बुढ़िया कराहत मिलल. बाकिर सोचलसि कि एकरा फेर में पड़ब त इंटरव्यू ला लेट हो जाएब, से ऊ बुढ़िया पर धेयान ना दे के सीधे इंटरव्यू देबे चल दिहलसि.

कुछ देर बाद प्रत्याशी नंबर तीन आइल आ ओह बुढ़िया के देखके कहलसि – ऐ माई, तोरा दुख से हम बहुते दुखी बानी. फेर ऊ ओह बुढ़िया संगे आपन कुछ सेल्फी-फोटू मोबाइल से खिंचलसि आ अपना फेसबुक स्टेटस के अपडेट कइलसि ई लिखत कि सगरी पत्रकार-मीडियावाला लोग एहिजा चहुँपस. एगो बूढ़ महतारी दम तूड़त बिया. मां बचाओ फाऊंडेशन नामके एनजीओ के बंदा तुरते चहुँपले आ दू घंटा ले तरह तरह के फोटू-सेशन करवा के कराहत बुढ़िया के लेके अस्पताल चल गइले.

अगिला दिने अखबार में प्रत्याशी नंबर तीन के खबर फोटू समेत छपल कि नया तकनीक के इस्तेमाल क के ई नवही एगो बुढ़िया के जान बचवलसि. कुछेक टीवी चैनल एह प्रत्याशी नंबर तीन के इंटरव्यू एह बात ला लिहले कि कइसे नया तकनीक से लोग के जान बचावल संभव हो सकेला. तमाम फोटुअन में ओह कंपनी के हेडक्वार्टर बैक-ग्राऊंड में आइल जवना के दफ्तर में इंटरव्यू देबे ला प्रत्याशी नंबर तीन आइल रहुवे. अपना कंपनी के हेडक्वार्टर के फोटू देखके चेयरमैनो बहुत खुश भइल.

आखिर में चेयरमैन एलान कइलन कि अपना सोझा मौजूद हालात के सबले सही इस्तेमाल प्रत्याशी नंबर तीने कइलसि. ऊ बुढ़िया के अस्पताल ले जाए में कवनो टाइम खराब ना कइलसि, उलटे एह मौका के इस्तेमाल आपन टीआरपी, आपन इमेज चमकावे ला कर लिहलसि. अइसने नवही के आजु का जमाना में सबले गुणवान माने के चाहीं.

एह कहानी से हमनी के सीख मिलत बा –

1 – समझदार लोग हर हालात के, चाहे ऊ कतनो दुखवाला काहे ना होखो, इस्तेमाल आपन इमेज चमकावे ला करेंले.

2 – फेसबुक के इस्तेमाल आपन फेस चमकावे ला करे वाला लोगे यशस्वी होला.

3 – हर समझदार बंदा के कवनो समस्या निपटावे में टाइम खराब ना करे के चाहीं. ओकरा अपना लगे तमाम समस्यन ला काम करे वाला एनजीओअन के लिस्ट राख के ओह समस्या से जुड़ल एनजीओ के खबर कर देबे के चाहीं.

एह पोस्ट के पुराणिक जी के फेसबुक पेज पर हिन्दी में पढ़ीं.

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अँजोरिया के भामाशाह

रहिमन वो नर मर चुके ..... रहीम जी के एगो दोहा हऽ कि - रहिमन वो नर मर चुके जो कहूं मांगन जाय, उनके पहिले वो मुए जिन मुख निकसत नाहिं. बहुत शर्म का साथ कहे के पड़त बा कि हम ओह समाज से कुछ मांगल चहनी जवन कि ऊ देइए ना सकत रहे. करोड़ों भोजपुरियन में से लाख ना त हजार ना त कुछ सौ लोग त जरुरे रहल होखी जे अंजोरिया पर आइल होखी. भामाशाह बने के निहोरो पढ़ले होखी. कुल 13 गो लोग अइसन मिलल जे भामाशाह बने के दयाशीलता देखा सकल. आजु हम एह योजना के बन्द करे के एलान करत बानीं. ना चाहीं रउरा सभे से कवनो तरह के कवनो सहजोग. लिखनिहार के रचना ना चाहीं, पढ़निहारन के कमेंटो के जरुरत नइखे. आजु से अंजोरिया पर भोजपुरी के कवनो रचना भा एकरा से जुड़ल कवनो खबर प्रकाशित ना कइल जाई. स्वांत सुखाय लिखेनी, लिखत रहब. बाकिर अब से भोजपुरी में ना लिखब. अलविदा भोजपुरी ! भोजपुरी अमर रहे !
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