मेहरारुअन के जतन से बचल बिया भोजपुरी

Ashutosh Kumar Singh

– आशुतोष कुमार सिंह

देश-दुनिया में आपन पांव पसार रहल भोजपुरी दिन-प्रतिदिन अपना देश में आपन संविधानिक अधिकार के नियरा पहुंच रहल बिया. हाले में जहवां भोजपुरी के आठवां अनुसूची में डाले खातिर संसद के भितरी जमके बहस भइल. अउर भोजपुरी के ई मामला देश के सबसे मजबूत महिला सोनिया गांधी तक के झकझोर देलस. ओहिजा दोसर ओर एकर विकास आ दिशा के लेके भारत के सांस्कृतिक राजधानी बनारस के जानल मानल शैक्षणिक संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केंद्र पिछला एक बरिस से भोजपुरी के विकास के दशा आ दिशा विषय प व्याख्यान श्रृंखला के आयोजन क रहल बा. अबहीं ले मॉरीशस के राष्ट्रपति से लेके हिंदी के जानल-मानल साहित्यकार केदारनाथ सिंह एह व्याख्यान श्रृंखला में आपन बात रख चुकल बा लोग.

एही कड़ी में पिछला 29 अगस्त के इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो0 चन्द्रदेव सिंह के बोलावल गइल रहे. श्री सिंह आपन व्याख्यान में कहलन कि, ‘भोजपुरी के विकास के सम्बन्ध भोजपुरी क्षेत्र में विकास से जुड़ल बा. वैश्वीकरण के नाते भाषा आ बोलियन प संकट उत्पन्न हो गइल बा. एकरा बादो हमनी के सांस्कृतिक वैशिष्ट्य भोजपुरी में सुरक्षित बा. भोजपुरी के संरक्षित राखे में महिला लोगन के बहुत बड़ भूमिका बा. भोजपुरी हमनी के थाती ह एकरा के बचावे के जरूरत बा. भोजपुरी बोले में हीनता ग्रंथि के अनुभव ना करे के चाहीं.” भोजपुरी के सांस्कृतिक परंपरा प बोलत श्री सिंह कहलन कि, ‘भोजपुरी क्षेत्र के आपन बड़हन सांस्कृतिक परम्परा रहल बा. भोजपुरी के विकास प्रेम से होई, झगड़ा से ना. काहे कि भोजपुरी के शक्ति प्रेम में निहित बा. आधुनिकता अउर औपनिवेशिकता के भागमभाग में हमनी के भोजपुरी भाषा से त दूर होइए गइल बानी जा साथे-साथे आपन देशज ज्ञान विज्ञान आ कला कौशलो से दूर हो गइल बानी जा. भोजपुरी भाषा अउर क्षेत्र के विकास खातिर हमनी के विकास के एगो नया रास्ता निकाले के होई. जाहिर बा कि हमनी के इतिहास के चक्र के पाछे नइखी स ले जा सकत बाकिर विकास के मुद्दा के सामाजिक सांस्कृतिक परम्परा आ ज्ञान- विज्ञान के दायरा में फेर से परिभाषित त कइए सकत बानी जा. एकरा खातिर जनपदीय यथास्थिति के विवेचन अउर बेहतर विकास के संभावना के अन्वेषण करे के साथे-साथे एकर व्यावहारिक क्रियान्वयनन के उपायन प विचार जरूरी बा.’ प्रो0 सिंह भोजपुरी के साहित्य सम्पदा के साथे-साथे ओकर कला कौशल आ खेती-बारी से जुड़ल ज्ञान के आधुनिक समाज के अनुरूप विकसित करहूं प जोर दिहलन.

कार्यक्रम के अध्यक्षता करत भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के परामर्श मण्डल के सदस्य आ वरिष्ठ साहित्यकार प्रो0 चौथीराम यादव कहलन कि, ‘एह बात प विचार करे के जरूरत बा कि भोजपुरी हमनी के घर से बेदखल काहे बिया?’ प्रो. यादव कहलन कि, भोजपुरी के विकास सांच में जनपदीय क्षमता सब के विकास बा. ध्यान देवे वाला बात ई बा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केन्द्र व्याख्यान शृंखला के शुरुआत मॉरीशस के राष्ट्रपति अनिरूद्ध जग्रनाथ कइले रहन. 6 दिसंबर 2009 के दीहल आपन व्याख्यान में श्री जग्रनाथ कहले रहन कि, ‘भोजपुरिया समाज में विपरित स्थितियों में लड़े के क्षमता होखेला. इहे कारण बा कि आज हमनी के मॉरीशस में शासन करे में सफल भइल बानी जा.’ एही कड़ी में अगिला दिन याने 7 दिसंबर 2009 के संस्कृत के प्रकांड विद्वान कमलेश दत्त त्रिपाठी जी के व्याख्यान भइल रहे. उहां के आपन व्याख्यान में कहले रहीं कि, ‘भोजपुरी में नाटक आ व्यंग्य के अपार संभावना बा. कवनो भाषा के बढ़ावे में ओह भाषा में नाट्य आ व्यंग्य तत्व के रहल जरूरी होखेला.’ एही तरह पिछला 30 अप्रैल के वरिष्ठ साहित्यकार केदारनाथ सिंह के व्याख्यान भइल रहे जवना में उहां के भोजपुरी में गद्य रचे प जोर देले रहीं. अउर कहले रहीं कि, ‘भोजपुरी के कहानी आ कविता से ऊपर उठ के गद्य के भाषा होखे के चाहीं.’

भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो0 सदानन्द शाही भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के परिचय देत प्रस्तावित कइलन कि इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय भोजपुरी क्षेत्र में मौजूद आदिवासी अउर जनजाति आ उनकर साहित्यिक सांस्कृतिक परम्परा के अध्ययन में आगे आई. महिला अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो0 शुभाराव आइल अतिथियन के स्वागत कइनी आ मुख्य अतिथि के महिला अध्ययन केन्द्र के प्रकाशनो भेंट कइली. प्रो. बलिराज पाण्डेय धन्यवाद देलन. एह मौका प कु0 जया शाही आ श्रद्धा गुप्ता कुलगीत गा के सब केहू के झूमे प मजबूर क देलस लोग. भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समनवयक सदानंद शाही कहलन कि, ‘हमनी के भोजपुरी भाषा के विकास अउर ओकर दिशा प लगातार बुद्धिजीवि लोगन से साथे विचार-मंथन क रहल बानी जा. अगिला साल ले एम॰ए॰ में भोजपुरी पढ़ावे के तइयारी क रहल बानी जा. एह व्याख्यान शृंखला से हमनी के एह दिशा में बहुते सहायता मिल रहल बा.’

एह अवसर प डॉ. ओंकारनाथ सिंह, प्रो0 अवधेश प्रधान, प्रो0 चम्पा सिंह, प्रो0 अशोक सिंह, प्रो0 आनन्द शंकर सिंह, डॉ0 विनय कुमार सिंह सहित कई गो भोजपुरी आ हिंदी साहित्य के जानकार उपस्थित रहन.


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One thought on “मेहरारुअन के जतन से बचल बिया भोजपुरी”

  1. आशुतोष कुमार जी
    ‘मेहरारुअन के जतन से बचल बिया भोजपुरी’ लेख में बहुत कुछ जानकारी मिलल .
    धन्यवाद !
    ओ.पी .अमृतांशु

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