मेहरी के खीसि डेहरी प : बतंगड़ – 31

– ओ. पी. सिंह


जइसे – नाचे ना जाने अङनवे टेढ़ – वाला सहारा ले लीहल जाला जब चाल सही ना बइठे, वइसहीं अपना गलती के खीसि दोसरा प मढ़ देबे के परिपाटी पुरान ह. अंगरेजी मे एकरा के लूजर्स लीम्प का नाम से जानल जाला. खेल का मैदान में जब कवनो खिलाड़ी का गलती से कैच छूट जाला भा बॉल सही ना जा पावे त ऊ खिलाड़ी एक दू डेग लंगड़ के चलेला जेहसे देखे वालन के बुझाय कि बेचारा के गोड़ सही ना पड़ल ना त खेल जीतले रहल ह. अबकी भइल पाँच गो राज्यन के चुनाव में अइसनके नजारा देखे के मिलल बा. ईवीएम मशीन से चुनाव बरीसन से करावल जा रहल बा आ हर बेर हारे वाला गोल मशीन के गड़बड़ी के शिकायत करत आइल बाड़ें. बाकि अबकी तनी बेसी शिकायत होखत बा काहे कि धुनाई पुरहर हो गइल बा. बहिना के त अब धंधे चउपट हो जाई काहे कि अब टिकट के खरीददारे ना मिलिहें उनुका, जवन नेतइन बिना कागज पढ़ले एक लाइन सही ना बोल सके ऊहो अपना के महारानी से कम ना समुझसि. काहें कि अपार धन सम्पति के मलिकाइन हो गइल बाड़ी. जे बीनि बेर खात रहुवे ऊ अब तीन बेर खात बा आ डकारो नइखे लेत. साइकिल से चले वाला मनई के खानदान अब अरबो खरबो के मालिक हो गइल बा. एह लोग के चुनावी हार के सदमा बरदाश्त नइखे होखत आ माँग करत बा लोग कि ईवीएम मशीन के इस्तेमाल बन्द कइल जाव. झाड़ूमार गोल प अइसन झाड़ू चलि गइल कि तीन दिन ले ओकरा मुँह से एगो बकारो ना फूटल. अब उनुकरो कहना बा कि पंजाब गोवा में ऊ अइसे कइसे हार सकेलें जबकि सगरी प्रेश्या एक सुर से उनुकर हवा बतावत रहलन.

असल में ई सगरी लोग प्रबंधन के पुरान भुलभुलैया में अझूरा के रहि गइलें. प्रबंधन के एगो सिद्धान्त ह अस्सी बीस के. एह सिद्धान्त के कहना ह कि कवनो बिजनेस के अस्सी फीसदी आमदनी ओकरा बीस फीसदी गाहकन से आवेला. जबकि अस्सी फीसदी गाहकन से बीसे फीसदी कारोबार हो पावेला. आ एकरा बाद एह सिद्धान्त से दू गो राह निकलेला. एगो राह बतावेला कि ओही बीस फीसदी गाहकन के धेयान राखल जाव जिनका से अस्सी फीसदी कारोबार होत बा. दोसर राह के कहना ह कि पता ना कब ई बीस फीसदी के कुछ गाहक बिदक जइहे, एहसे अस्सी फीसदी में से एकर भरपाई करे प पूरा धेयान लगावे के चाहीं.

भारत के राजनीति में अबहीं ले बीस फीसदी के दमखम चलत आइल रहल ह. अस्सी फीसदी के अनदेखी करत सगरी धेयान बीसे फीसदी प राखल जात रहल ह. एगो पीएम त साफे कहत रहलें कि देश के संसाधनन प पहिला हक एही बीस फीसदी वालन के होखे के चाहीं. अस्सी फीसदी से त एक तिसरी लोग के कवनो ना कवनो बहाने अपना तरफ खींचिए लीहल जाई. नेहरू से लगाइत अबले के सगरी राजनीति एही राह प चलत आइल. अब जा के एगो गोल अपना सही राह प समर्थन जुटावे में कामयाब भइल बा आ बाकी गोलन के बुझाते नइखे कि बीस फीसदी वाला दाँव बेकार कइसे हो गइल. पहिला बेर कवनो गोल एह बीस फीसदी के अपना दायरा से बाहर राखियो के चुनाव जीत लिहलसि.

बीस वाला विषाई के काट निकल गइला के बाद अब विष के कारोबारी भकुआ गइल बाड़ें. देश के टुकड़ा-टुकड़ा करावे के सपना देखे बाला बँवारा गोलन के त अबकी कतहीं मौजूदगिए ना लउकल. भारत माता के जय आ वन्दे मातरम कहे वालन का सोझा एह टुकड़खोरन के दिमागे हेरा गइल बा. अगिला निशाना प दीदिया बाड़ी काहें कि आजु का तारीख में उनुका ले बड़हन बीसा समर्थक केहू नइखे. ऊ अबहियों भरम में बाड़ी कि बीसा उनुका के बीस बनवले रखीहें. जबकि बैकलैश के सगरी इन्तजाम ऊ अपने करा के रखले बाड़ी. कमल के त बस एह पाँक में फुलाए के मौका चाहीं. काहे कि अस्सी वाला जमात अब चुप नइखे रहे वाला. चार बाँस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, एते प सुल्तान है मत चूको चौहान. आ चौहान अबकि चूकीहें ना.

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