लटकलऽ त गइलऽ बेटा !

by | Apr 23, 2015 | 0 comments

– औम प्रकाश सिंह

वइसे त रउरा बहुते कहानी पढ़ले होखब जवन साँच पर आधारित होले. एहिजा जवन हम कहे जात बानी तवन पूरा तरह से कपोल कल्पना ह बाकिर देखीं साँच से कतना मिलत जुलत बा ई कहानी.

एगो देश रहे जहाँ कई बरीस का बाद भठियारा राजा के हटा के एगो दोसर आदमी राजा बन गइल रहुवे जवना चलते पुरनका राजा के दरबारी आ उनकर भाँड़ सब नाराज रहले. हर मौका तलाशल जात रहुवे नयका राजा के बरबाद करे के. केहू के कवनो कारण से मौत होखो त अखबार में छपे कि पलाँ किसान फसल के बरबादी के सदमा से मर गइल, चिलनवा फाँसी लगा लिहलसि, फलनवा के हार्ट अटैक हो गइल.

हर विरोधी गोल आपन आपन जलसा करे करावे में लागल रहुवे. सभे किसान के हमदर्द बने के दावा करत रहुवे. अइसने एगो गोल रहुवे साँपा, साँपे का तरह खतरनाक. एह गोल के खासियत रहुवे कि अपने गोल के गईंया के कमीना कह के पिछाड़ पर लात मार के निकाल दिहल जात रहुवे. बाकिर तबहियों एह गोल में शामिल होखे वाला लोग के कमी ना रहुवे. सभका लागत रहुवे कि साँपा में शामिल हो जाएब त जल्दिए गद्दी पर बइठे के मिल जाई.

अइसनके माहौल में एगो राज्य के खात पीयत घर के कारोबारी नवही का मन में सपना जागल राजनीति करे के. कई गो दल बदलत ऊ साँपा में चहुँपल आ ओकारा साँपा दल के मँजल साँपिदिया से भेंंट हो गइल. साँपोदिया ओकरा के समुझवलसि कि अगर जल्दी से छा जाए के मन बा त कुछ बड़हन करे के पड़ी, कर सकबऽ? सत्ता के लालच में बेचैन नवही तुरते तइयार हो गइल. योजना बनल कि ओकरा सभा का दिन कवनो फेंड़ पर चढ़ के फाँसी लगावे के नौटंकी करे होखी. ओकरा बाद थोड़ देर ला फाँसी पर लटकियो जाए के पड़ी. लटकते ओहिजा मौजूद साँपा कार्यकर्ता ओकरा के फेंड़ से उतार लीहें आ ओकरा बाद ऊ मीडिया के खबरन में छा जाई. नवही के एह में कुछऊ खतरनाक ना लागल आ ऊ हामी भर दिहलसि.

सभा का दिन मंच पर मौजूदा सबसे बड़हन साँपिया अपना तीन चार गो गईंयन का संगे मंच पर मौजूद रहुवे. बीच बीच में तीनो ओह फेंड़ का ओर झाँक लेत रहुवन जवना पर ऊ नवही चढल रहुवे. ओकरो संतोष लागल कि लोग बेर बेर ओकरा के देखते बा से खतरा भा चिन्ता के कवनो बात नइखे. कुछ मीडिया वाले एह बीच आपन कैङरा ओकरा पर टिका लिहले रहुवन. एह बीच मंच पर एगो कवि राजनेता माईक थमले रहुवे. फेर पुछुवे कि ‘लटक गइल?’ जसहीं जवाब मिलल कि हँ त ओकर हाथ के इशारा बतवलसि कि चलऽ काम हो गइल.

एह बीच पुलिस ओकरा के गाछ से उतार के अस्पताल खातिर चलल. सभका मालूमे रहुवे कि का होखे के बा का भइल बा से एगो नेताईन चिहिकली कि एकर बलिदान बाँव ना जाए दिहल जाई. लोग चिहाईल कि अबहीं त अस्पताल ले चहुँपलो ना होखी तबले ओकरा मरे के खबर देत सरधांजलियो दिआए लागल? नेताईन तुरते आपन चिहिकल मेटा दिहली बाकिर तब ले कुछ दुष्ट लोग उनुका चिहिकला के फोटो रिकार्ड कर चुकल रहुवे. एगो अभारतिऔ चिहिक चुकल रहुवन आ फेर बाद में उहो अपना चिहिकल के मेटा चुकल रहले.

अब चलीं ओह नवही के बारे में जानल जाव जवना के साँपा के लोग किसान बतावत रहुवे. बढ़िया कारोबार करत रहे ऊ नवही आ ओकरा खेती से अइसन कवनो नुकसान ना भइल रहुवे जवना चलते ऊ अपना के फाँसी चढ़ा दीत. ओकरा त राजनीति के लालच रहुवे आ सबले बड़का गलती कि साँपा के गोल पर ओकरा भरोसा रहुवे.

एह कहानी के सीख इहे बा कि राजनीति में आइल अइसन गोल के लोग का कवनो बात पर भरोसा ना करे के चाही. ना त उहे हाल होखी जवन कवनो ट्रक भा बस का पाछे लिखल मिलेला कि लटकलऽ त गइलऽ बेटा! दोसर ई कि ई पूरा कहानी कल्पना ह, कवनो कारण से ई सही साबित हो जाव त एकर जिम्मेदारी हमरा पर मत डालल जाव़

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अँजोरिया के भामाशाह

रहिमन वो नर मर चुके ..... रहीम जी के एगो दोहा हऽ कि - रहिमन वो नर मर चुके जो कहूं मांगन जाय, उनके पहिले वो मुए जिन मुख निकसत नाहिं. बहुत शर्म का साथ कहे के पड़त बा कि हम ओह समाज से कुछ मांगल चहनी जवन कि ऊ देइए ना सकत रहे. करोड़ों भोजपुरियन में से लाख ना त हजार ना त कुछ सौ लोग त जरुरे रहल होखी जे अंजोरिया पर आइल होखी. भामाशाह बने के निहोरो पढ़ले होखी. कुल 13 गो लोग अइसन मिलल जे भामाशाह बने के दयाशीलता देखा सकल. आजु हम एह योजना के बन्द करे के एलान करत बानीं. ना चाहीं रउरा सभे से कवनो तरह के कवनो सहजोग. लिखनिहार के रचना ना चाहीं, पढ़निहारन के कमेंटो के जरुरत नइखे. आजु से अंजोरिया पर भोजपुरी के कवनो रचना भा एकरा से जुड़ल कवनो खबर प्रकाशित ना कइल जाई. स्वांत सुखाय लिखेनी, लिखत रहब. बाकिर अब से भोजपुरी में ना लिखब. अलविदा भोजपुरी ! भोजपुरी अमर रहे !
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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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