आपन राग, आपन डफली बजावल छोड़ीं

Ashutosh Kumar Singh

– आशुतोष कुमार सिंह

इतिहास गवाह बा जवन भाषा आपन विस्तार करे में सफल रहल बिया ओकर लोहा पूरा दुनिया मनले बा. कवनो देश-दुनिया के कवनो कोना के मिजाज जाने खातिर ओहिजा के स्थानीय भाषा के जानल जरूरी होखेला. कहल गइल बा कि भाषा से संस्कार विकसित होखेला. एह मामला में आपन भाषा भोजपुरियो कवनो भाषा से कम नइखे.

पिछला 30 अप्रैल के भोजपुरी अध्ययन केंद्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के परिसंवाद श्रृंखला के तत्वाधान में भोजपुरी के भविष्य विषय प एगो संगोष्ठी आयोजित कइल गइल रहे. एह विषय प बोलत वरिष्ठ साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी कहनी कि, फणीश्वरनाथ रेणु के कहानी पंचलाइट के मंचन जब भोजपुरी में भइल त बहुते लोकप्रिय भइल रहे. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के संस्मरण सुनावत उहां के कहनी कि, एक बार जब पटना में एगो भोजपुरी सम्मेलन में जाए आ भोजपुरी में बोले के नेवता मिलल त पहिले त उहां के झिझकनी, बाकिर बाद में जब उहां के भोजपुरी में बोले के शुरू कइनी त उहां के भोजपुरी बोले में कवनो कठिनाई के सामना ना करे के पड़ल. केदार जी आगे कहनी कि भोजपुरी एगो समृद्ध भाषा बिया. एकरा में कालीदास के मेघदुत आ रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीतांजली के जवन अनुवाद भइल बा ऊ मूल किताब के बहुते नियरा बा. उहां के भोजपुरी के ‘विचार के भाषा’ बनावे प जोर देत कहनी कि, भोजपुरी में जादा से जादा गद्य लेखन होखे के चाहीं. एह कार्यक्रम के संचालन करत भोजपुरी केंद्र के समनवयक प्रो. सदानंद शाही जी कहनी कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एगो जनपदीय आंदोलन चलल रहे. अगर भोजपुरी आगे बढ़ी त हिंदी भी आगे बढ़ी.

केदार जी एह संगोष्ठी में भोजपुरी में गद्य लेखन बढ़ावे के जवन सुझाव देले बानी एह बात प नया पीढ़ी के भोजपुरी लेखकन के जरूर ध्यान देवे के चाहीं. काहे कि ई बात सांच बा कि भोजपुरी में गद्य लेखन ओह स्तर प नइखे हो रहल जवना स्तर प होखे के चाहीं. भोजपुरी के लगे जेतना शब्द संपदा बा ओकर उपयोग हमनी के नइखी स क पावत. जेतने लिखाई ओतने भोजपुरी में नया-नया शब्द प्रचलन में आई आ शब्दन से नया-नया अर्थ बोध निकली. एह से बड़ लोगन के देखावल राह प चलत हमहूं आपन भोजपुरिया भाई लोगन से कहे के चाहत बानी, चली चलल जाव भोजपुरी के विचार के भाषा बनावे. एकरा खातिर आपन भाषा आ संस्कार से जुड़ल हर विषय प भोजपुरी में कलम चलावे के दरकार बा. एह सब काम के मंजिल तक पहुंचावे में एगो ईमानदार प्रकाशक के जरूरत बा, जवन भोजपुरी में रचल जा रहल साहित्य के उचित सम्मान देव. एह तरफ खासतौर से बिहार आ यूपी सरकार के ध्यान देवे के चाहीं.

एह बीच एगो चिंता वाला खबर ई बा कि भोजपुरी में कलम चलावे वाला एगो बड़ भाई मिर्जा खोंच एह घरी बीमार चल रहल बाड़न. भोजपुरी जिनगी के संपादक, भाई संतोष पटेल से हमरा मालुम चलल कि व्यंग से सब केहू के चीत क देवे वाला बड़ भाई मिर्जा खोंच आज खुद खटिया पकड़ लेले बाड़न अउर अपना जिनगी के अंतिम सांस गीन रहल बाड़न. भगवान करस उहां के जल्दी ठीक हो जाईं आ भोजपुरिया कलम उठाईं. संतोष भाई उनका प एगो अंक समर्पित करे चाहत बाड़न. बहुत नीमन विचार बा. एकरा पहिले ऊ अपना नयका अंक भिखारी ठाकुर प निकाल चुकल बाड़न.

एही बीच बिहार के माटी से एगो खुशखबरियो बा. तथागत अवतार तुलसी आईआईटी पूणे में सबसे कम उमिर के असिस्टेंट प्रोफेसर हो गइल बाड़न. तथागत अवतार तुलसी एतना कम उमिर में अपना ज्ञान के बलबूते बिहार के नाम पूरा दुनिया में रौशन क रहल बाड़न. धन्य बा उनकर माई-बाप आ ऊ माटी जहवां उनकर जनम भइल.

दिल्ली में भइल अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव में भाग लेत स्व.कमलेश्वर जी कहले रहनी कि अगर चार गो हिंदी के विद्वान के एगो बात प सहमत होखे के कह दीहल जाव त ऊ कबो सहमत ना होइहें. इहे कारण बा कि हिंदी के विकास नइखे होत. ठीक इहे हाल आजु भोजपुरीओ में लउकत बा. एह से भोजपुरी प्रेमी लोग से कहत बानी कि अपना में एक दोसरा से अझुराइल छोड़ के, आपन डफली आपन राग बजावल छोड़ के, एह बात पर ध्यान दीं सभे कि भोजपुरी कइसे आगे बढ़ो.

राउर
आशुतोष कुमार सिंह

संपर्क
bhojpuriamashal@gmail.com
‌+919891798609

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6 thoughts on “आपन राग, आपन डफली बजावल छोड़ीं”

  1. Hamar saadar pranam swikar kari aur jankari dihla khati dhanyabad bhi.baat ta raur bahut nik lagal.baki humni ke apan niji system na hokhla ke wajah se internet cafe me simit samay khatin jaye k padela.aur cafe master ka taraf se ye tarah ke kauno anumati na milela.ta bas ohi se apna dur des ke logan ke hal chal jaldi jaldi le ke aur apan tadap likh dihal jala.anubhav aa abhyas ke aabhav bhi bate hamra me.par kosis kareb ta safalta milbe kari

  2. रूद्र भाई रउआ एकदम सही बात कह रहल बानी. आज भोजपुरी में नया साहित्य के जरूरत बा. अउर तबे लिखाई जब हमनी जइसन युवा लोग एह दिशा में आगे कदम बढ़इहें.

  3. रुद्र प्रताप जी,
    का रउरा नइखे लागत कि अगर रउरा देवनागरी में आपन बात लिखले रहतीं त ओकर सवादे कुछ अउर रहित!

    देवनागरी में लिखल बहुत आसान बा. तख्ती के अपना कम्प्यूटर पर डाउनलोड कर के इंस्टाल कर लीं. फेर आराम से ओह पर रोमन लिपि में हिन्दी भा भोजपुरी लिखे के कोशिश करीं, तुरते जान जायब कि कतना आसान बा देवनागरी के इस्तेमाल. बस एक बार सगरी बटन एक एक कर के दबावत जाईं आ पता कर लीं कहवाँ का बा.

    राउर
    संपादक, अँजोरिया

  4. Ashutosh bhaiya pranam!bilkul bimari ki sahi nabz pakdi hai apne.ab samaj ke asadharan vikas ko dekte hue aur apni mitti ki maryada ka palan karte hue naye vicharo ko lipibadh kiya jay.agra bhojpuri sammelan me manoj bhaiya ne bhi is nayi baat par sabse jyada jor diya tha aur kaha tha”ab tak hum aap logan ke bahut kuch dihle bani par aj ap log se kuch mangat bani “naya sahita”.ap apan naya krantikari rachna humni ke di taki humni ke bhojpuri ke vishva prasidh banavla ke sapna sakar ho sake”.rahi baat samajik sanskar ki to vo itni heen aur beparda ban gayi hai ki uske liye asamanya purusharth ki jarurat hai par wah asambhav nahi hai.yaad rahe nit subh chintan se hi subh aur sundar sahitya ki rachna ho sakti hai.

  5. एह से भोजपुरी प्रेमी लोग से कहत बानी कि अपना में एक दोसरा से अझुराइल छोड़ के, आपन डफली आपन राग बजावल छोड़ के, एह बात पर ध्यान दीं सभे कि भोजपुरी कइसे आगे बढ़ो.

    बहुत निक बात कहनी हां आशुतोष जी, हम राउर बात से सहमत बानी, आज समय आ गइल बा कि सब भोजपुरिया अलग अलग दिशा मे जोर आजमाइस ना कर के एक दिशा मे आ सार्थक दिशा मे कोशिश करो,
    बहुत सुनर आलेख लिखले बानी रौवा, बहुत बहुत धन्यवाद,

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