– हरिराम पाण्डेय
कहात आइल बा कि भारत के करीब 17160 एकड़ जमीन बंगलादेश के कब्जा में बा आ बंगलादेश के लगभग 7110 एकड़ जमीन भारत का कब्जा में. जमीन के ई सब टुकड़ा कूचबिहार के राजा आ रंगपुर के फौजदार का बीच चौसर के बाजी में लिहल-दिहल गइल.
पहिले जुआ भा चौसर में जमीनो के लेनदेन भइल करत रहे अइसन सबूत मिलेला. एने, नयका इतिहासकारन मानेले कि ई सब अग्रेजन के करतूत ह. ई तब भइल जब भारत आ पाकिस्तान के जल्दबाजी में बंटवारा कइल गइल. कुछ घेराइल-सकपकाइल लोगन के अइसनका जगहा डाल दिहल गइल जवन दोसरा देश का कब्जा में चल गइल. पीएम नरेन्द्र मोदी एह इलाकन के अदला बदली करे के जवन प्रस्ताव रखले बाड़न तवन उनकर राजनीतिक परिपक्वता के सबूत बा.
हालांकि अइसन कइल भारतीय जनता पार्टी के पहिले के रुख के उलटा होखी, बाकिर ऊ सोच नक्शा का आधार पर बनल रहे ना कि राजनीतिक सामाजिक मजबूरी आ जरूरत का आधार पर. एह अदला-बदली ला साल 2011 में यू पी ए सरकार आ बंगलादेश में समझौता भइल रहे. ओकरो पहिले साल 1971 में इंदिरा-मुजीब भूमि समझौतो में कुछ अइसने भइल रहुवे. बाकिर कुछ काम ना हो सकला काहे कि एकरा के संसद से मंजूर करा के पक्का ना कइल जा सकल. एह तरह के समझौतन के संसद से पक्का करावे के होला. बाकिर अब राह खुल गइल बा. 31 सदस्यन से बनल संसदीय समिति एकरा के मंजूरी दे दिहले बिया. एह समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के नेता शशि थरूर हउवें आ उनकर मानल ह कि अइसनका कइल देश हित में जरूरी बा. काहें कि एहसे भारत-बंगलादेश सीमा समस्या हमेशा ला सलट जाई.
पहिले विदेश राज्य मंत्री रह चुकल शशि थरूर के अगुवाई वाली समिति दुनू देश के बीच सीमा तय करे ला 119वां संविधान संशोधन विधेयक के अपना कुछ सिफारिशन का साथ मंजूरी दे दिहले बिया. समिति केंद्र आ राज्य सरकारन से एकरा के लागू करावे में मानवीय पक्ष के ध्यान राखे आ पुनर्वास पैकेज के लागू करे के तरीको पर साफ राय बनावे के कहले बिया. सीमा निर्धारण करे से पहिले समिति एह बात पर जोर दिहले बिया कि राज्य सरकारन आ केंद्र का बीच बेहतर तालमेल बने आ माथ राजनीतिक स्तर पर राय विचार होखे.
मोदी पिछला दिने असम के भाजपा कार्यकर्तन के रैली के संबोधित करत कहलन कि, हम एह तरह के बंदोबस्त करब जवना का बाद रोज-रोज असम आवे वाला आ एकरा के तबाह करे वाला बंगलादेशियन खातिर सगरी राह बंद क दिहल जाव. हमरा बात पर भरोसा करीं सभे कि असम के एह समस्या के स्थाई समाधान करे खातिर जमीन अदला-बदली के समझौता कइल जाई. ई समझौता दुनू देशन का बीच भूमि सीमा सहमति के तहत सीमा तय करे से जुड़ल बा.
मोदी के आश्वासन अइसना समय में आइल बा जब भाजपा के प्रदेश इकाई आ असम गण परिषद एह तरह के समझौता के विरोध एह बात पर कइले बाड़े कि एह अदला-बदली में असम के बंगलादेश के बनिस्बत अधिका जमीन देबे के पड़ी. प्रधानमंत्री कहलन कि जमीन के अदला बदली असम के जनता आ सीमा के सुरक्षे खातिर कइल जाई आ राज्य के कवनो तरह के नुकसान करे ला ना. ऊ कहलन, हम पूरा जिम्मेदारी से ई बात कहत बानी.
कहलन कि जमीन के अदला-बदली के समझौता लेके राज्य के जनता के भावना ऊ जानत बाड़े आ असम के सुरक्षा से कवनो समझौता ना करीहें. ईहे ना, एह अदला-बदली में भारत के कानूनी तौर पर 2777 एकड़ उहो जमीन मिल जाई जवन ह त भारत के बाकिर ओह पर राज चलेला बंगलादेश के. इहे ना एही तरह बंगलादेश के 2267 एकड़ जमीन बंगलादेश के मिल जाई. ई एगो पोढ़ समझौता बा जवन दू गो मित्र राष्ट्रन का बीच सीमा के अनबन के खतम क दी.
भारत एगो बड़हन लोकतांत्रिक देश ह आ अपना गरिमा के देखत ओकरा एह अदला-बदली के शालीनता से सकार लेबे के चाहीं. साल 2013 में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई खुला रूप से एह अदला-बदली के वकालत करत कहले रहलन कि एहसे असम के प्रत्यक्ष लाभ मिली. बीतल बरीसन में तृणमूल कांग्रेस एकर विरोध कइले रहुवे बाकिर अबकी बेर एकर एगो नेता सौगत बोस 31 सदस्य वाली संसदीय समिति में शामिल बाड़े आ उहो एह समझौता के मंजूर कइले बाड़न. एहसे भारत के चीनो से सीमा वार्ता करे में सहूलियत मिली.
(3-12-2014)
पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ उहाँ के ब्लॉग ह खोज खबर