नेट पर भोजपुरी के एगो युग पूरा होखे का मौका पर

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आजु से बारह बरीस पहिले भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डाॅटकाॅम के शुुरुआत भइल रहुवे. तब से आजु ले बहुते कुछ बदल गइल. नेट पर सैकड़ो वेबसाइट हो गइल बाड़ी सँ भोजपुरी के. अलग बात बा कि भोजपुरी में ना चला के ओकनी में से अधिका वेबसाइटन के हिन्दी भा अंगरेजी में चलावल जात बा. आ ओहु में से अधिका पर बस गीत गवनई, सेक्सी आ हाॅट फिलिमन के भरमार बा.

ई सब देखि के कुछ भोजपुरिया बंधु लोग भोजपुरी में फूहड़पन का खिलाफ आन्दोलन चलावत रहेलें. गीत गवनई आ फिलिमन के फूहड़पन त सभका लउकेला बाकिर भोजपुरी का साथे होखत बलात्कार पर सभे चुप्पी साध लेला. गीत गवनई के फूहड़पन से समय अइला पर निपटल जा सकेला बाकिर भोजपुरी का साथे जवन फूहड़पन होखत बा तवन समय का साथे लाइलाज होखल जात बा.

भोजपुरी के मठाधीश आ धंधेबाज लोग भोजपुरी के 8वीं अनुसूची में शामिल करावे खातिर जतना मेहनत कइलें आ करत रहेलें. ओकर दसवों अगर भोजपुरी के संवारे सम्हारे पर लगवले रहतें त आजु भोजपुरी के रूप बहुते निखरल रहीत. भोजपुरी के सबले बड़का समस्या का तरफ कवनो मठाधीश भा धंधेबाज के नजर नइखे काहें कि ओह पर मेहनत बहुते करे के पड़ी आ मिले के बा ठेंगा.

हमरा एह बात के संतोष बा कि अंजोरिया आ अब भोजपुरिका का मार्फत हम भरपूर कोशिश कइनी आ करत जात बानी कि भोजपुरी के एगो मानक शैली उभर सको. सही सही भोजपुरी लिखाव आ एकरा के पढ़े में सुविधा होखो. दाग, दागि, आ दागी का फेर में भोजपुरी का साथे होखत बलात्कार रोकला के जरूरत बा. हम जानबूझ के अतना बड़हन शब्द बलात्कार के इस्तेमाल करत बानी काहे कि बलात्कार करे वाला बस अपना आनंद के धियान राखेला जेकरा साथे बलात्कार होखत बा ओकरा ला कवनो चिन्ता ना रहे ओकरा मन में.

भोजपुरी में अर्ध ह्रस्व इ आ उ का चलते बहुते कुछ भरम पैदा हो जाला. लोग के बुझइबे ना करे कि भईल आ भइल, कईल आ कइल में का सही बा का गलत. भी के इस्तेमाल भोजपुरी के सहज प्रवाह के रोकेला कि ना. कब कि लिखल जाव आ कब की. देवरिया कने की शब्द के इस्तेमाल तनिका बेसी होला बाकिर ओकरा के समहर भोजपुरी में शामिल कइल ठीक रही कि ना एह पर सोचला के जरूरत बा. बाटे, बावे, बड़ुवे, बाने जइसन शब्दन में से कवना के बढ़ावल जाव?

अंजोरिया के एगो युग पुरा होखे के आनन्द तब अउरी अधिका हो जाई जब सभे मिल बइठ के एह सवालन के जवाब खोज पाई. धियान राखे के पड़ी कि एहमें हिन्दी के व्याकरण कम आ संस्कृत के व्याकरण के अधिका माने के जरूरत पड़ी. हमरा त इहे लागेला कि भोजपुरी का साथे होखत फुहड़पन के सबले अधिका दोष हिन्दी विद्वानन के बा जे जानबूझ के भोजपुरी के अझुरवले राखे, बदनाम करे में लागल रहेलें. भोजपुरी के हिन्दी के उपभाषा बतावे वाला भोजपुरिया बाकिर हिन्दी विद्वानन के हम नमकहराम कहे में तनिको ना सकुचाएब.

आजु फेरू दोहरावत बानी कि भोजपुरी के 8वीं अनुसूची में शामिल करवला से बेसी जरूरी बा भोजपुरी के एगो भाषा का रूप में मान्यता. केन्द्र सरकार के राजभाषा विभाग एगो हिन्दी षडयंत्र का तहत भोजपुरी आ बहुते स्थानीय भासन के हिन्दी के उपभाषा बना के राख दिहले बा. एह उप भाषा वाला कलंक से भोजपुरी के मुक्ति दिआवल बहुते जरूरी बा.

– – ओम प्रकाश सिंह

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