– पप्पू मिश्र ‘पुष्प’
पेट के पपीहरा के पियास बुझावे खातिर उ खुशी-खुशी ओ लो के सेवा-तबदारी में लाग गइल। सेवा-तबदारी से जवन कुछ मिले ओ से ओकर आ ओकरा परिवार के गाड़ी डगरे लागल। संपूर्ण समरपन आ ईमानदारी से सेवा करते कुछ दिन बीत गइल त ओकरा के नया जिम्मेवारी सउप दिहल गइल। एही तरे जबे जवन जिम्मेदारी दिहल जाव ओके उ आपन धरम आ कर्तव्य मान के पूरा करे लागल। बाकिर ओ लो के असलियत जब पता चलल तबले देर हो गइल रहे। ओकर लवटल-भागल मुश्किल रहे। ओकरा चारु-ओर हालात आ हुशियारी के मजबूत देवाल खड़ा क दिहल गइल रहे।
एक दिन – ‘हम मानअ तानी कि हमरा खून में राउर निमक दउरअ ता बाकिर हई पाप हम नइखी कर सकत ! बहुत लोग के ठोकनी,…ई ठीक नइखे।…कवनो पापी-कसाई भा धंधेबाज के कहीं हम जान लगा देब।’ हाथ जोड़ के उ मना कइलस।
‘ओकर मरल हमनी के धंधा खातिर बहुत जरूरी बा।…ठीक-बेठीक कबसे देखे लगले रे ? एही खातिर तोरा के पोसल बा ? जवन कहल जा ता चुप-चाप कर, पाप-पुण्य सोचल छोड़, ढ़ेर दिमाग लगइबे त दिमाग उड़ जायी,समझले कि ना ?’ शराब के खाली गिलास आपन एगो चमची के पकड़ा के आका डपटले।
‘…हम दिमाग नइखी लगावत,हमार दिल कहअ ता कि ई वाजिब नइखे। एगो ईमानदार,कर्मठ आ न्यायप्रिय ऑफिसर के जान बेशकीमती होला। आ उ ऑफिसर त जनता के जान ह। ओकरा साथे-साथे ओकर निर्दोष बाल-बच्चा आ लोकभावना के भी हत्या हो जायी।’ दृढ़ता से उ आपन पक्ष रखलस।
‘…गिनती आवे ला तोरा ? गिन के बताव त तोरा घर में क आदमी बाड़े ?’ ए बेरी आका नाप-तोल के बोलले आ खामोश हो गइले।
एतना सुनते ओकर करेजा काँप गइल। घरवालन के चेहरा एक-एक कर के ओकरा आँखि के सोझा घूमे लागल। अचानक आइल भय आ दहशत के प्रचंड वेग ओकरा से ना रोका पाइल त गिड़गिड़ाये लागल – ‘गोड़ धरअ तानी राउर,अइसन मत करब ! बाल-बच्चा आ परिवारे हमार जिनगी के डोर बा। उ टूट जायी त हम जी ना पायेब,…हम उहे करेब जवन रउआ कहेब।’
आ एगो जोरदार ठहाका के बाद सगरी योजना ओकरा के समझा दिहल गइल।
पप्पू मिश्र ‘पुष्प’
छोटी नरैनियाँ(पूरब टोला), मीरगंज(गोपालगंज), बिहार – 841438
संप्रति – व्याख्याता (डॉ राजेन्द्र प्रसाद इंटर कॉलेज),हथुआ(गोपालगंज)
स्वतंत्र पत्रकार- प्रभात खबर,गोपालगंज